लखनऊ। कोआपरेटिव बैंक इम्पलाइज यूनियन के प्रतिनिधि मंडल ने बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गोरखपुर में मुलाकात कर आर्थिक रूप से कमजोर बैंकों के विलय न होने सहित अन्य समस्याओं की जानकारी दी। उन्हें बताया कि शासन स्तर पर बैंक के विलय की कार्रवाई लंबित है। कम्प्यूटरीकरण में करोड़ों का भुगतान किया गया है। यूनियन के महामंत्री सुधीर कुमार सिंह, प्रदेश संरक्षक बीएन चौबे, प्रदेश उपाध्यक्ष शेषनाथ यादव, जितेंद्र प्रताप सिंह, आशीष कुमार ने मुख्यमंत्री को बताया कि जिला सहकारी बैंकों और उप्र कोऑपरेटिव बैंक में कनेक्टिविटी, सिस्टम ऑडिट, माइग्रेशन ऑडिट नोडल एजेंसी श्रीट्रान, अपट्रॉन, यूपी डेस्को कर रही है। लेकिन बैंकों में बिना कार्य शुरू किए करोड़ों के बिल भुगतान के लिए भेज दिए हैं। उन्होंने कहा कि उप्र कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड इन कार्यों के लिए क्रियान्वयन एजेंसी है। जब सभी बैंकों का एक ही डाटा सेंटर कोआपरेटिव बैंक में बनाया जा रहा है तो इन कार्यो की आवश्यकता ही नहीं है। प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि नाबार्ड ने प्रत्येक बैंक को 05 लाख रुपये व उप्र कोआपरेटिव बैंक ने 25.00 लाख के अनुदान का प्रस्ताव किया था। लेकिन आधुनिकीकरण के लिए गठित कमेटी कोआपरेटिव की निष्क्त्रिस्यता के कारण बैंकों को 275 लाख का नुकसान पहुंचाया गया है। पैक्स के कम्प्यूटरीकरण के लिए 50 प्रतिशत अनुदान नाबार्ड और 50 प्रतिशत उप्र कोआपरेटिव बैंक/राज्य सरकार से वहन किया जाना है। लेकिन कोआपरेटिव बैंक ने 50 प्रतिशत का व्यय जिला सहकारी बैंकों पर डाल दिया है। बैंकों से बिना बिल भेजे व्यय की डेबिट अथॉरिटी मांग ली गई है। पैक्स में 7400 से अधिक माइक्रो एटीएम बाजार भाव से अधिक मूल्य पर खरीदे गए हैं। प्रतिनिधि मंडल ने समस्याओं और भ्रष्टाचार की जानकारी देने के बाद मुख्यमंत्री को मुलाकात के लिए धन्यवाद दिया है।