स्वास्तिक रूप में विराजमान है भगवान गणेश: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि स्वास्तिक भगवान गणेश का स्वरूप है, ओंकार अर्थात् प्रणव ऊँ भी गणेश जी का स्वरूप है। ओंकार की आकृति बिल्कुल गणेश जैसी है। ओंकार ही गणेश हैं, गणेश ही ओंकार हैं। जो स्वास्तिक बनाते हैं, गणेश भगवान का जो मोटा शरीर है। बीच का हिस्सा है, चार हाथ है वह चार लाइने हो गई, चारों में जो शस्त्र हैं, वह चार उनके जो टेढ़ापन आ गया है, गणेश भगवान ही स्वास्तिक रूप में विराजमान है। गणेश को चाहे ओंकार के रूप में मान लो, चाहे स्वास्तिक के रूप में मांग लो, चाहे आकृति के रूप में मान लो, गणेश जी आप की रक्षा करते रहेंगे। मिट्टी के, बेसन के, स्फटिक के, मूंगे के और मदार (आंकड़ा) मूल भाग के गणेश अत्यंत चमत्कारी माने जाते हैं। मदार की जड़ के गणपति बनाकर पूजा करो, फिर देखो क्या चमत्कार होता है। अटूट लक्ष्मी आती हैं, कभी बिघ्न नहीं आता। मूंगे के गणपति, मिट्टी के, गणेश चतुर्थी के दिन बेसन के गणेश बनाकर पूजा करने से अद्भुत फल मिलता है। मदार (आंकड़ा) में दो तरह के फूल होते हैं, नीले और सफेद। जिसके सफेद फूल होते हैं, वह विशेष चमत्कारी माना जाता है। पुराने पेड़ की जड़ में गणेश अपने आप बने बनाये मिलते हैं, नहीं निकले तो बनवा लेना चाहिए। जैसे चार,पाँच,छः पत्ते वाला बेलपत्र, एक मुखी रुद्राक्ष, दक्षिणावर्ती शंख की विशेष महिमा है, ऐसे मदार की जड़ के गणेश की विशेष महिमा है। जैसे अमरनाथ में भगवान शंकर स्वयं प्रकट होते हैं। वैसे आंकड़ा के जड़ के गणेश स्वयंभू गणेश माने जाते हैं, इनकी पूजा का विशेष फल है। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम) का पावन स्थल महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में चातुर्मास के पावन अवसर पर श्री गणेश महापुराण कथा के तृतीय दिवस गणेश जी की पूजा उपासना की विधि का वर्णन किया गया। कल की कथा में उपासना खंड की अन्य कथाओं का वर्णन किया जायेगा।

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