लखनऊ। प्रदेश के विकास प्राधिकरणों में विकास कार्यों के नाम पर अब गोलमाल के खेल पर लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। सरकारी खजाने से धन लुटाने की अधिकारियों की प्रवृत्ति पर रोक लगाने को लेकर आवास विभाग ने कवायद शुरू की है। इसके तहत विकास प्राधिकरणों में कराये जाने वाले विकास कार्यों में निर्धारित से अधिक काम दिखाकर भुगतान लेने के खेल को खत्म किया जाएगा। इसके लिए लोक निर्माण विभाग में लागू ई-बिलिंग और ई-एमबी बनाने की व्यवस्था को विकास प्राधिकरणों में भी लागू करने का फैसला किया गया है। सभी विकास प्राधिकरणों को लोक निर्माण विभाग द्वारा तैयार कराए गए साफ्टवेयर को अपनाने का निर्देश दिए गए हैं। दरअसल विकास प्राधिकरण की योजनाओं में कराये जाने वाले विकास कार्यों के भुगतान के लिए अब तक कोई पारदर्शी व्यवस्था नहीं हैं। ऐसे में अधिकारी व ठेकेदार मिलकर भुगतान में बड़ा खेल करते थे। कराये गए कार्यों से अधिक कार्य दिखाकर भुगतान कराने की तमाम शिकायतों को देखते हुए शासन इस समस्या का स्थाई समाधान चाहता है। ताकि विकास कार्यों में होने वाली धांधली रुके और उतना ही भुगतान किया जाए, जितना काम हुआ है। इस संबंध में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग की ओर से सभी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्षों को जरूरी सुधार लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। जारी दिशा-निर्देश में लोक निर्माण विभाग में लागू ई-गवर्नेंस से संबंधित विभिन्न व्यवस्थाओं को विकास प्राधिकरणों में भी लागू करने को कहा गया है। यह भी कहा गया है कि विभाग के खंडों को ऑनलाइन बजट का आवंटन और अन्य जरूरी उपायों को लागू किया जाए। विकास प्राधिकरणों के अधिकारियों को लोक निर्माण विभाग के भवन व सड़क निर्माण से संबंधित साफ्टवेयर का अध्ययन करने को कहा गया है। इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के संबंधित अधिकारियों से संपर्क करके भुगतान की व्यवस्था को और पारदर्शी बनाने को कहा गया है। ताकि विकास प्राधिकरणों में होने वाली गड़बड़ियों को रोक जा सके।