राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री गणेश का महापुराण में वर्णन है। भगवान गणेश बुद्धि के दाता हैं। भगवान से इतना रोज मांगा करो, हे प्रभु हमको निर्मल बुद्धि देना। जिस बुद्धि से भजन होता है, जिस बुद्धि से परोपकार होता है, जिस बुद्धि में दूसरों के प्रति दया भाव होता है, जिस बुद्धि में परमात्मा का प्रकाश हो, हे प्रभु ऐसी हमको बुद्धि दो। रोज मांगोगे, तो ऐसा हो नहीं सकता, तुम्हारी झोली में वह कुछ न डालें। फिर जिसने झोली भरी- उनका स्मरण, भजन, पूजन, कीर्तन करते रहना चाहिए। कीमत बुद्धि की है। एक प्रधानमंत्री, एक राष्ट्रपति या एक सेना का जर्नल सारे देश का कमांड करते हैं, शरीर और शक्ति के आधार पर नहीं बुद्धि के आधार पर। एक व्यक्ति का काम पूरे देश विदेश में फैला है और एक जगह से बैठकर हैंडल कर रहा है। हजारों लोग काम कर रहे हैं, यह चमत्कार बुद्धि का है। दूसरे दस लोग एक घर ठीक से नहीं चला पाते, झुंझलाते रहते हैं, मैं तो उलझ गया, मैं तो फंस गया, यह बुद्धि की कमजोरी है। बुद्धि ज्यादा चाहिए या शक्ति, ज्यादा लोग शक्ति ही मांगते रहते हैं। हमको धन की शक्ति दे दो, हमको साधनों की शक्ति दे दो, हमारे मित्र बहुत से बना दो, गणेश भगवान हमें तो संपत्ति दे दो, ये ठीक नहीं है। पहले बुद्धि मांगना चाहिए। चांदी के सिक्के में जो दिवाली में पूजन होता है, उसमें लक्ष्मी के साथ कौन बैठे हुए हैं, पूजा तो लक्ष्मी की कर रहे होते हैं तो भी भगवान गणेश को क्यों रख रहे हो, अगर यह बुद्धि नहीं देंगे तब तो धन पाकर व्यसन, पाप करके नर्क चले जाएंगे। बुरे काम वही करते हैं जिनकी बुद्धि कमजोर है। लक्ष्मीजी यदि मोटरकार हैं तो गणेशजी ब्रेक हैं, जैसे ब्रेक गाड़ी को कंट्रोल में रखता है, श्री गणेश जी बुद्धि के दाता हैं, लक्ष्मी अर्थात् धन प्राप्ति के बाद भी व्यक्ति को आउट ऑफ कंट्रोल नहीं होने देते। इसलिए लक्ष्मी और गणपति का पूजन साथ-साथ चलता रहता है। सिद्ध गणपति, उच्छिष्ट गणपति, महागणपति, लक्ष्मी-गणपति,
गणपति के अनेक रूप हैं। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान
(वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, चातुर्मास का पावन अवसर, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे श्री गणेश महापुराण की कथा में महोत्कट विनायक की कथा का वर्णन किया गया। कल की कथा में मयूरेश, गजानन और धूम्रकेतु अवतार की कथा का वर्णन किया जायगा।