कौन सी वैक्सीन बना रही है ज्यादा एंटीबॉडी…

गोरखपुर। गोरखपुर जिले में 18 नमूनों के अध्ययन में एम्स पता लगाएगा कि किसमें ज्यादा एंटीबॉडी बन रही है। इसमें कोवावैक्स, कोविशील्ड व कोवाक्सिन लगवाने वालों के नमूने लिए गए हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (एम्स) अब अगल-अलग कंपनियों के वैक्सीन लगवाने वालों की एंटीबॉडी जांचेगा। इससे यह पता चल सकेगा कि किस वैक्सीन की एंटीबॉडी ज्यादा है और किस की कम बन रही है। एम्स में कोरोनारोधी वैक्सीन कोवा-वैक्स का ट्रायल दो जुलाई से शुरू हो गया है। 21 दिन बाद दूसरी डोज दी जा चुकी है। हर बार 28वें दिन पर उनकी पांच बार एंटीबॉडी की जांच की जाएगी। कोविशील्ड व कोवॉक्सिन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों की भी एंटीबॉडी जांच की जाएगी। इससे तीनों वैक्सीन से बन रही एंटीबॉडी का पता लगाया जा सकेगा। अभी तीनों वैक्सीन लगवा चुके छह-छह लोगों के नमूने लिए गए हैं। कोवा-वैक्स का ट्रायल छह महीने में पूरा हो जाएगा। हालांकि एम्स प्रशासन ने एक साल तक जांच कराने का निर्णय लिया है। जिस वैक्सीन की एक साल तक पर्याप्त एंटीबॉडी मिली उसे लगवा चुके लोगों के नमूने उसके बाद भी लेकर जांच की जाएगी ताकि एंटीबॉडी की सही अवधि का पता चल सके। एम्स मीडिया प्रभारी डॉ. शशांक शेखर ने कहा कि कोवावैक्स, कोवाक्सिन व कोविशील्ड की डोज लगवा चुके छह-छह लोगों के नमूने लिए जा चुके हैं। उनमें एंटीबॉडी की जांच की जाएगी। कोवावैक्स का ट्रायल छह महीने में पूरा हो जाएगा लेकिन यह जांच एक साल तक चलेगी। इससे यह पता चल सकेगा कि एक साल के बाद तक कौन सी वैक्सीन कारगर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *