लखनऊ। विधानसभा चुनाव-2022 में 350 सीटों पर जीत और 50 प्रतिशत से अधिक वोट बैंक पर काबिज होने का लक्ष्य लेकर चुनाव मैदान में उतरी भाजपा ने अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने की रणनीति बनाई है। भाजपा आगामी सितंबर-अक्तूबर में प्रदेश में पिछड़ी आौर अति पिछड़ी जातियों के सम्मेलन आयोजित कर प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार व संगठन में पिछड़े वर्ग को मिली भागीदारी के साथ सरकार की उपलब्धियां बताई जाएगी। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की अगुवाई में होने वाले पिछड़े वर्ग के सम्मेलन की योजना बनाई जा रही है। लोकसभा चुनाव-2019 से पहले भी भाजपा ने 2018 में पीडब्ल्यूडी के विश्वैश्यरैया सभागार में करीब एक महीने तक मौर्य, कुशवाहा, कुर्मी, यादव, निषाद, राजभर, सैनी, लौहार, गुप्ता, लोधी, बिंद, लोनिया चौहान सहित अन्य जातियों के सम्मेलन आयोजित किए थे। 2019 में ओबीसी सम्मेलनों का प्रयोग सफल रहने के बाद पार्टी विधानसभा चुनाव में भी पार्टी उसे दोहराने जा रही है। पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग की प्रमुख जातियों के अलग-अलग सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। बड़े वोट बैंक वाली पिछड़ी जातियों के सम्मेलनों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी संबोधित करेंगे। वहीं केंद्र व प्रदेश सरकार में पिछड़े वर्ग की संबंधित जातियों के मंत्री, पार्टी पदाधिकारी, निगम आयोग और बोर्डों के अध्यक्ष एवं पदाधिकारी भी सम्मेलनों में शिरकत करेंगे। सम्मेलनों के जरिये पार्टी यह बताने की कोशिश करेगी कि विधानसभा चुनाव 2017 से लेकर नगरीय निकाय चुनाव 2018, लोकसभा चुनाव 2019 और पंचायत चुनाव-2021 तक में भाजपा ने पिछड़े वर्ग को महत्व दिया है। भाजपा सरकार ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के साथ संगठन, निगम, आयोगों और बोर्डों में भी पिछड़े वर्ग को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया है। केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं से ओबीसी वर्ग को मिले फायदे को भी बताया जाएगा।