हिमाचल प्रदेश। बहुमुखी प्रतिभा की धनी जेबीटी शिक्षिका अनुराधा कश्यप अपने काम के प्रति समर्पण भाव के चलते आज शिक्षकों में अलग स्थान बनाने में कामयाब रही है। बच्चों को पढ़ाने के लिए नए तरीके खोजे तथा उन्हें आगे बढ़ने को प्रेरित किया। अनुराधा ने गड़काहन केंद्रीय प्राथमिक स्कूल के सौ से अधिक छात्र-छात्राओं को एकांकी और सांस्कृतिक स्कूली प्रतियोगिताओं में तैयार करके भेजा। अनुराधा द्वारा तैयार करवाए नाटकों को तीन बार राज्य स्तर पर पहला और दो बार दूसरा पुरस्कार मिल चुका है। स्कूल की टीमों ने महिला सशक्तिकरण, नशा मुक्ति, कन्या भ्रूण हत्या, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, भ्रष्टाचार मुक्ति अभियानों में कई पुरस्कार जीते। शिमला जिले के सुन्नी शिक्षा खंड के तहत हाजल प्राथमिक स्कूल में 15 साल पूर्व बतौर सहायक अध्यापक के रूप में सेवाएं शुरू करने वाली अनुराधा ने केंद्रीय प्राथमिक स्कूल गड़काहन के तहत आने वाले पांच स्कूलों के दर्जनों छात्र-छात्राओं के हुनर को निखारने का कार्य किया। इनकी वजह से स्कूलों की टीम राज्य स्तरीय एकांकी प्रतियोगिता में प्रथम रही। इस उपलब्धि पर गड़काहन स्कूल के भवन निर्माण के लिए छह लाख रुपये मिले। प्ले वे सामग्री तैयार करने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई। सुन्नी की मझीवड़ पंचायत के बेरटी गांव की रहने वाली अनुराधा रोजाना चार किमी का सफर कर आजकल हाजल स्कूल में बच्चों को पढ़ा रही हैं। उन्होंने छात्रों के लिए काउंटिंग व्हील, स्पेलिंग मशीन, एडिशन सब स्ट्रेशन मशीन के साथ हिंदी और अंग्रेजी भाषा, गणित जैसे विषयों को समझाने के लिए कई टीचिंग लर्निंग मैटीरियल तैयार कर पढ़ाने के तरीके अपनाए। उन्होंने स्कूल में आर्ट एंड क्राफ्ट विषय अपने स्तर पर शुरू किया। वर्ष 2016 में गुमा में हुए किसान मेले में लगाई आर्ट एंड क्राफ्ट प्रदर्शनी और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर दी एकांकी प्रस्तुति पर तत्कालीन राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने स्कूल टीम को प्रशस्ती पत्र देकर सम्मानित किया। अनुराधा ने कहा कि वह अपने पिता स्वर्गीय धर्मदास कश्यप (सेवानिवृत्त एडीओ) के बताए मूल मंत्र काम से पहचान बनाओ पर आगे बढ़ रही हैं। माता नंदी देवी ने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित ही किया।