उत्तरी निगम ने फिल्मों की शूटिंग के लिए बनाई नीति

नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपने अधिकार क्षेत्र में फिल्मों की शूटिंग करने की अनुमति देने के लिए नीति बनाई है। निगम ने अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए शूटिंग की अनुमति नीति निर्धारण का फैसला लिया है। उत्तरी निगम अपने अधिकार क्षेत्र में कहीं भी शूटिंग करने के लिए प्रतिदिन न्यूनतम 75 हजार रुपये के हिसाब से फीस लेगा। इसके अलावा शूटिंग की जगह के हिसाब से कितनी फीस बढ़ानी है, यह फैसला निगम आयुक्त करेंगे। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) क्षेत्र में ही अभी तक फिल्म शूटिंग के लिए अनुमति देने का प्रावधान है। एनडीएमसी द्वारा प्रतिदिन 2 लाख की दर से शुल्क के भुगतान पर शूटिंग करने की अनुमति दी जाती है। ऐसे ही दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने भी फिल्म शूटिंग अनुमति नीति को स्वीकृत किया है। दक्षिणी निगम 75000 रुपये प्रतिदिन के भुगतान पर शूटिंग की अनुमति देता है। इसी क्रम में उत्तरी निगम ने भी अपने अधिकार क्षेत्र में शूटिंग करने के लिए नीति बनाने का निर्णय लिया। स्थायी समिति ने निगम आयुक्त की सहमति से हाल ही में प्रस्ताव पास किया है। व्यापार की सुगमता वाली इस राष्ट्रीय नीति को सदन की बैठक में पास कर जल्द ही अधिकार क्षेत्र में लागू कर दिया जाएगा। कोविड-19 के कारण बदलीं संभावनाएं:- उत्तरी निगम की स्थायी समिति अध्यक्ष जोगी राम जैन ने बताया कि कोरोना महामारी काल में देखा गया है कि तेजी से ओटीटी प्लेटफॉर्म की संख्या बढ़ी है और टीवी सीरियल, फिल्म और वेब सीरीज इत्यादि की पहले से अधिक शूटिंग हो रही है। दिल्ली प्राकृतिक परिस्थितियों और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों वाले शहरों में से एक है। उत्तरी निगम में ऐतिहासिक महत्व के कई स्थल हैं, जहां फिल्मों की शूटिंग हो सकती है। उत्तरी निगम क्षेत्र में होती रही है शूटिंग:- बॉलीवुड की कई वेब सीरीज और फिल्मों में उत्तरी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र की विभिन्न जगहें दिखाई गई हैं। टाउन हॉल, लाल किला और उसके आसपास अजमल खां पार्क, आजाद पार्क, दिल्ली गेट, दरियागंज और चांदनी चौक इत्यादि में शूटिंग होती रही है। लेकिन निगम अधिकार क्षेत्र में अब कहीं भी शूटिंग करने के लिए निगम से अनुमति लेनी होगी। बातचीत के बाद तय की गई फीस: जोगीराम जैन ने बताया कि शूटिंग की अनुमति देने के लिए कितनी फीस ली जाए, इसके लिए कई प्रोडक्शन हाउसों और उनके प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई। इसके बाद ही न्यूनतम फीस का निर्धारण किया गया है।

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