उत्तराखंड। हिमालय के संरक्षण और बचाव के लिए दस वर्ष पूर्व शुरू हुई मुहिम धीरे-धीरे परवान चढ़ रही है। हिमालय दिवस की पूर्व संध्या पर आजादी का अमृत महोत्सव के तहत और दिल्ली विश्वविद्यालय के सौ वर्ष पूरे होने पर नई दिल्ली में बियॉन्ड हिमालय विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि हिमालय दिवस को देशभर में वृहद स्तर पर एक पर्व के रूप में मनाया जाना चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिमालय अध्ययन केंद्र, हेस्को संस्था देहरादून और हिमालयीय विश्वविद्यालय देहरादून की ओर से आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में कई केंद्रीय मंत्री वर्चुअली रूप से जुड़े। पद्मभूषण डॉ.अनिल जोशी ने कहा कि हिमालय अब सैलानियों का गढ़ बन गया है। हमें समझना चाहिए कि प्रभु का वास वहीं है, जहां प्रकृति का वास है। उन्होंने आह्वान किया कि हिमालय दिवस को पूरे देश में एक पर्व के रूप में मनाया जाना चाहिए। क्योंकि हिमालय कोई भोगी जाने वाली वस्तु नहीं है। उन्होंने कहा कि हिमालय मूक है, लेकिन निरंतर अपनी सेवाएं दे रहा है। आज हिमालय के लोग जो हिमालय को बचाने और उसके संरक्षण के लिए समय-समय पर आवाज उठाते हैं, वह केवल 10 प्रतिशत हिमालय की सेवाएं लेते हैं, जबकि 90 प्रतिशत सेवाएं अन्य राज्य व दुनिया के लोग लेते हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ.विजय राघवन ने कहा कि हिमालय सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए महत्व रखता है। आज हिमालय के बिगड़ते हालातों के कारण ग्लोबल वार्मिंग पर भी असर पड़ रह है, क्लामेट चेंज हो रहा है और इसके कारण हमें बाड़, आपदा आदि जैसी आपदाएं देखने को मिल रही हैं। इसलिए हमें हिमालय के प्रति जिम्मेदारी निभाने वाली संस्थाओं, लोगों, स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। यदि हिमायल खुश होगा, तभी हम सब खुश रह सकते हैं। रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि हिमालय देश का सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व पर्यावरण के दृष्टिकोण से करता है। जहां एक तरफ इसकी सीमाएं हमें सुरक्षित रखती हैं। वहीं दूसरी तरफ हिमालय से हवा, मिट्टी, जंगल, पानी इस देश को जीवन की सुरक्षा भी प्रदान करता है। हिमालय दिवस में इन पिछले दशकों में बराबर किसी न किसी रूप में चर्चा के कारण हिमालय ने दुनिया के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। कैबिनेट मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि हिमालय की महत्वता को समझते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने शताब्दी वर्ष और आजादी के अमृत महोत्सव के पर्व पर अपने परिसर में सेंटर फॉर हिमालयन स्टडी की स्थापना की है। केंद्र ने विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले प्रत्येक छात्र के लिए पौधरोपण अनिवार्य कर दिया है। इसलिए हमें हिमायलय को बचाने के लिए हिमालय से परे सोचने की जरूरत है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने हिमालय को पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा और आयुर्वेद का जन्मदाता बताया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल में ग्रीन बोनस देने और जीईपी के बारे में विचार करने पर उन्होंने ध्यान दिलाया और आज जीईपी को सरकार ने अपनी संस्तुति भी दे दी है। जिसके तहत अब हवा, पानी, मिट्टी और जंगलों में आई वृद्धि पर भी बात होगी और उसका आकलन भी हमारे पास होगा। उन्होंने भरोसा जताया कि हिमालय के सरंक्षण की दिशा में सभी अपनी भागीदारी निभाएंगे। केंद्रीय मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा कि हिमालय मेडिसिन, प्रकृति, प्लांट, हॉर्टिकल्चर का हब है। आज हम सब अमृत महोत्सव में हिमालय दिवस को जोड़कर मना रहे हैं। आने वाले 25 साल अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे, जब हम अपनी आजादी के 100वें वर्ष को मना रहे होंगें। कार्यक्रम के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा लिखी पुस्तक ‘हिमनद-मानव जीवन का आधार’ का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में सीएसआईआर के निदेशक डॉ.शेखर सी मांडे, प्रद्योगिकी सचिव डॉ.रेणु स्वरूप, दिल्ली विवि के वॉइस चांसलर प्रो.पीसी जोशी, हिमालयन विश्वविद्यालय के पीवीसी प्रो.राजेश नैथानी ने भी हिमालय और उसकी भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन दिल्ली विवि के निदेशक प्रो. दीनबंधु साहू ने किया।