उत्तराखंड। नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा अर्चना के लिए उत्तराखंड के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। सुबह घरों और मंदिरों में कलश स्थापना की गई। वहीं तड़के से ही मंदिरों में लोगों की लंबी लाइन लग गई थी। गुरुवार को मां पूर्णागिरि धाम में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। प्रथम नवरात्र पर करीब 20 हजार से ज्यादा भक्तों ने देवी मां के दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना की। नवरात्र के पहले दिन ब्रह्म मुहूर्त में मां पूर्णागिरि के दर्शन के लिए यूं तो श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला बुधवार से ही शुरू हो गया था, लेकिन गुरुवार की सुबह अचानक भीड़ उमड़ने से अफरा-तफरी का माहौल रहा। सुबह के समय वाहन न मिलने से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। मुख्य मंदिर में भी श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए कई घंटे तक लाइन में खड़ा रहना पड़ा। सीओ अविनाश वर्मा ने बताया कि सुरक्षा के लिए धाम क्षेत्र में पर्याप्त फोर्स तैनात की गई है। स्थानीय फोर्स के अलावा बम निरोधक दस्ता, डॉग स्क्वायड टीम, डेढ़ सेक्शन पीएसी, पांच उप निरीक्षक, 20 कांस्टेबल, तीन हेड कांस्टेबल, चार महिला कांस्टेबल तैनात किए हैं। मां पूर्णागिरि धाम में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने और सीमा खुलने से नेपाल के सीमांत ब्रह्मदेव बाजार में पसरा सन्नाटा भी टूट गया है। पूर्णागिरि दर्शन के बाद श्रद्धालु नेपाल स्थित बाबा सिद्धनाथ के दर्शन के लिए ब्रह्मदेव जा रहे हैं। इससे वहां के बाजार में रौनक लौट आई है। पूर्णागिरि धाम में नवरात्र के पहले दिन ही कहीं भी कोरोना से बचाव के नियमों का पालन होता नजर नहीं आया। दर्शन को आ रहे श्रद्धालुओं की थर्मल स्क्रीनिंग तो दूर सुरक्षित दूरी और मास्क की अनिवार्यता का भी पालन नहीं हो रहा है। नवरात्रि के पहले दिन शहर से लेकर ग्रामीणों क्षेत्रों के प्रसिद्ध मंदिरों में भी भक्त देवी दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे। भक्तों ने धूप, दीप, नारियल, पान सुपारी देवी के चरणों पर अर्पित कर विधिविधान से पूजा अर्चना की। सुबह से शाम तक मंदिरों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता रहा। घरों में भी लोगों ने दुर्गा सप्तमी का पाठ कर देवी की वंदना की। शक्तिपीठ चंद्रबदनी व धारी देवी मंदिर में घट स्थापना के साथ भगवती के नौ स्वरूपों के पूजन की शुरुआत हुई। माता के दर्शन करने श्रद्धालु तड़के ही मंदिरों में पहुंच गए थे। सिद्धपीठ चंद्रबदनी में सुबह परंपरानुसार निकटवर्ती गांवों के श्रद्धालुओं द्वारा लाए गए जौ को हरियाली के लिए बोया गया। हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर, चंडी देवी मंदिर, मायादेवी मंदिर, सुरेश्वरी देवी मंदिर, शीतला माता मंदिर, श्री दक्षिण काली मंदिर समेत अन्य मंदिरों में लोगों ने देवी के चरणों में पूजा सामग्री चढ़ाकर पूजन किया। चंडी देवी व मनसा देवी मंदिरों में श्रद्धालु जहां पैदल चढ़ाई कर पहुंचे। वहीं बच्चों व बुजुर्गों ने उड़न खटोला से यात्रा कर माता के दर्शन किए। सुबह पांच बजे से ही उड़न खटोला के पास यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ी हुई थी।