नई दिल्ली। एक नई योजना के तहत सैनिक स्कूल सोसायटी से संबद्ध किए जाने वाले 100 स्कूलों में हर कक्षा के 50 छात्र-छात्राओं को रक्षा मंत्रालय की ओर से स्कॉलरशिप दी जाएगी। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि इसके तहत मंत्रालय ऐसे 100 स्कूलों में कक्षा छह के (शुरुआती दौर में) अधिकतम 100 छात्र-छात्राओं को फीस में 40 हजार रुपये प्रति वर्ष की सहायता उपलब्ध कराएगा। अधिकारियों ने बताया कि नए स्कूलों में शिक्षण सत्र कक्षा छह में प्रवेश के साथ शुरू होगा। इसलिए पहले वर्ष में यह स्कॉलरशिप कक्षा छह के छात्र-छात्राओं के लिए जारी की जाएगी, जिसे बाद में धीरे-धीरे 12वीं कक्षा तक विस्तारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शुरुआती चरण में इस स्कॉलरशिप पर हर साल हर स्कूल की हर कक्षा में अधिकतम 20 लाख रुपये का खर्च आएगा। इसे देखते हुए पहले और दूसरे वर्ष के दौरान 100 स्कूलों के लिए क्रमशः 20 करोड़ और 40 करोड़ रुपये का अनुदान रहेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को सरकारी और निजी क्षेत्रों के 100 स्कूलों को रक्षा मंत्रालय के तहत सैनिक स्कूल सोसायटी से संबद्ध करने की मंजूरी दे दी थी। इन सभी स्कूलों में कक्षा छह के लिए नए प्रवेश की शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से शुरुआत की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि सैनिक स्कूल सोसायटी इस स्कूलों से तार्किक फीस रखने को कहेगी। इन 100 स्कूलों में से सभी को हर राज्य में एक मौजूदा सैनिक स्कूल के तहत रखा जाएगा। वर्तमान में पूरे देश में 33 सैनिक स्कूल हैं। हर स्कूल के प्रबंधन से एक सेवानिवृत्त सशस्त्र बल अधिकारी जुड़ा होगा। इसी तरह पूर्व सैनिकों को अभ्यास व विभिन्न खेलों के संचालन के लिए जोड़ा जाएगा। सभी स्कूलों के नाम में एकरूपता होगी और उनके पास भूमि, भवन और खेल सुविधाओं के मामले में पर्याप्त बुनियादी ढांचा होना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि छात्रों के लिए बोर्डिंग की सुविधा होना अनिवार्य नहीं है, लेकिन स्कूलों से छात्रों को विभिन्न शैक्षणिक और पाठ्येतर गतिविधियों में शामिल करने के लिए प्रतिदिन 10 घंटे की दिनचर्या का पालन करने की उम्मीद की जाती है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इन 100 स्कूलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, एनईपी 2020 के पाठ्यक्रम के अनुरूप मंजूरी दी है। ये स्कूल निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे। सैनिक स्कूलों में लड़कियों को प्रवेश की अनुमति देने के बाद से ही यहां पर भार बढ़ गया है। इसी को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह निर्णय सैनिक स्कूलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए लिया है।