जम्मू-कश्मीर। कश्मीर में एक बार फिर से 90 के दशक में शुरू हुई टारगेट किलिंग जैसा माहौल बनाकर डर पैदा करने की कोशिश की जा रही है। इस बार यह माहौल आतंकियों और चरमपंथियों की ओर से कुछ विशेष वजह से बनाया जा रहा है। दरअसल केंद्र सरकार की ओर से कश्मीर में अमन बहाली और फिर से कश्मीरी पंडितों और अल्पसंख्यकों को दोबारा घाटी में बसाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों को कमजोर करने के लिए आतंकी संगठन ऐसा कर रहे हैं। इसमें तीन प्रमुख ऐसी वजह है, जो घाटी के चरमपंथियों और आतंकवादियों को हजम नहीं हो रही है। दहशत फैलाने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के दि रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के आतंकवादियों ने कश्मीर में 90 के दशक जैसा माहौल और दहशत फैलाने के लिए टारगेट किलिंग शुरू की है। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक बहुत जल्द ही न सिर्फ टीआरएफ के आतंकवादी बल्कि जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन से वास्ता रखने वाले आतंकवादियों का खात्मा कर दिया जाएगा। दरअसल केंद्र सरकार ने घाटी में कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने, स्थानीय लोगों को रोजगार देने और अमन बहाली के लिए जो फैसले लिए और जो तैयारियां कि वह आतंकी संगठनों को हजम नहीं हो रही है। सूत्रों के मुताबिक आतंकी संगठन और चरमपंथियों को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हो रही है कि केंद्र सरकार कश्मीर में हिंदुओं को बसाने से पहले 90 के दशक में उनकी जमीन जायजात और प्रॉपर्टी को जिस तरीके से हथियाया गया था उसको वापस दिलाने के लिए रेवेन्यू कोर्ट तैयार किए जाएं।