नई दिल्ली। उत्तराखंड के कुमाऊं जिले में ‘बेडू’ के नाम से मशहूर फल (जंगली हिमालयी अंजीर) का इस्तेमाल एस्पिरिन और डिक्लोफेनाक (सूजन) जैसे सिंथेटिक दर्द निवारक के एक सुरक्षित विकल्प के रूप में किया जा सकता है। चूहों पर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। पंजाब स्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय दल के अनुसंधान में पाया गया कि हिमालय के क्षेत्र में पाए जाने वाले इस फल के त्वचा संबंधी बीमारियों का उपचार करने और संक्रमण का इलाज करने जैसे कई अन्य चिकित्सकीय लाभ भी हैं। शोधकर्ताओं द्वारा तीन साल तक बेडू के अर्क के दर्द निवारक प्रभावों का अध्ययन किया गया। पत्रिका ‘प्लांट्स’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जंगली हिमालयी अंजीर को दर्दनिवारक के रूप में असरदार पाया गया है। एलपीयू के सहायक प्रोफेसर देवेश तिवारी ने कहा कि जंगली हिमालयी अंजीर उर्फ बेडू एस्पिरिन और डिक्लोफेनाक जैसे सिंथेटिक दर्द निवारकों का एक सुरक्षित विकल्प है। यह पहला ऐसा अध्ययन है, जिसमें जंगली हिमालयी अंजीर को प्राकृतिक दर्द निवारक के रूप में बताया गया है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में इस फल का उपयोग परंपरागत रूप से पीठ दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। इस अध्ययन में एलपीयू के अलावा उत्तराखंड स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय, गुजरात स्थित गणपत विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय, इटली स्थित मेसिना विश्वविद्यालय और ईरान स्थित तेहरान आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय और शाहिद बहिश्ती चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शामिल थे।