ठंड और प्रदूषण का श्वसन तंत्र पर पड़ता है असर: डा. संतोष कुमार

उत्तराखंड। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के मुताबिक कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी जरूर आई है, लेकिन संक्रमण अभी पूरी तरह से समाप्त हुआ है। आने वाले दिनों में कड़ाके की ठंड और खतरनाक स्तर तक बढ़े प्रदूषण के चलते कोरोना संक्रमण का खतरा भी बढ़ेगा। ऐसे में मास्क पहनने और हाथ धोने की आदत को दिनचर्या में शामिल करना ही बचाव का एकमात्र उपाय है। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि इस साल उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। तापमान तीन डिग्री के न्यूनतम स्तर तक गिरने की संभावना है। दीपावली के दौरान पटाखों के कारण हवा में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल के नोडल अधिकारी डॉ. संतोष कुमार का कहना है कि ठंड और प्रदूषण का असर श्वसन तंत्र पर पड़ता है। कोरोना का वायरस भी सीधा फेफड़ों पर हमला बोलता है। दीपावली के बाद उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों में प्रदूषण बड़े पैमाने पर बढ़ा है। मौसम विभाग ने ला नीना के कारण से कड़ाके की ठंड के दिनों बढ़ोत्तरी की बात कही है। ऐसे में ठंड और प्रदूषण के डबल अटैक और कोविड नियमों की अनदेखी से कोरोना संक्रमण बढ़ सकता है। डॉ. संतोष कुमार ने कहा कि लोग मास्क और सतह को छूने के बाद हाथ धोने को लेकर लापरवाह हो गए हैं। डॉ. संतोष पंत ने कहा टीकाकरण के बाद भी मास्क पहनना बहुत जरूरी है। मास्क कोरोना के संक्रमण और प्रदूषण दोनों से बचाएगा। उन्होंने बताया आने वाले दिनों में सर्दी जुकाम के मामले भी बढ़ेंगे। अगर सर्दी जुकाम के लक्षण दिखे तो लोग ये भूल न करें उनको वैक्सीन लगी है, इसलिए कोरोना नहीं हो सकता है।

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