आईएएस अफसरों ने शिमला में खरीदा जमीन, लगाएंगे बगीचे

हिमाचल प्रदेश। हिमाचल के आईएएस अफसरों की दिलचस्पी हिल्स क्वीन शिमला में जमीनें खरीदने में भी दिख रही है। बाहरी राज्यों के अधिकारी यहां रिहायश बनाने के साथ-साथ बाग-बगीचे लगा रहे हैं। प्रदेश सचिवालय के सचिव स्तर के कई वरिष्ठ आईएएस अफसर और कुछ जिलों के उपायुक्तों को रिहायश और बाग-बगीचे लगाने के लिए हिमाचल प्रदेश टेनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म्स एक्ट 1972 की धारा 118 के तहत सशर्त मंजूरी दे दी गई है। यह मंजूरी पत्र के जारी होने से एक साल तक मान्य होगी। भूमि का इस्तेमाल उसी प्रयोजन के लिए भूमि पंजीकरण की तिथि से दो वर्षों की अवधि के अंदर किया जाएगा, जिस प्रयोजन के लिए अनुमति दी गई है। निर्धारित समय पर भूमि का इस्तेमाल नहीं हुआ तो वह भूमि सभी तरह से भार मुक्त होकर सरकार में निहित हो जाएगी। जिला शिमला में जमीन खरीदकर रिहायश बनाना दशकों से राजनेताओं और आला अफसरों की पहली पसंद रहा है। यहां जमीन में निवेश हमेशा फायदे का सौदा रहा है। इस चालू वर्ष में भी प्रदेश सचिवालय में सचिव स्तर के आठ वरिष्ठ आईएएस अफसरों ने शिमला में जमीन खरीदी है। अपने वरिष्ठ अफसरों का अनुसरण करते हुए उनके जूनियर कई आईएएस अफसरों ने भी जिले में जमीन खरीद कर निवेश किया है। बाहरी राज्यों से आए अफसरों को भी यहां की शांत वादियां पसंद आ रही हैं। इनमें से किसी ने जमीन पर फलों के बगीचे लगाने की मंजूरी ली है, तो कुछ ने भूमि पर घर बनाने का सपना देखा है। कई वरिष्ठ ऐसे भी हैं जिनके पास पहले से यहां जमीन मौजूद है, अब उसके आसपास की जमीन खरीदने की नई मंजूरी ली है। इन अफसरों की पहली पसंद शिमला में जमीन खरीद कर आशियाना बनाने की रहती है। शिमला के ब्यूलिया, जुन्गा, मशोबरा, बल्देयां, फागू, ठियोग, मत्याणा, कुफरी के आसपास के इलाके अफसरों की पहली पसंद रहते हैं। बाहरी राज्य का कोई भी व्यक्ति यहां सीधे तौर पर जमीन नहीं खरीद सकता, उसके लिए धारा 118 की स्वीकृति लेनी जरूरी है। इसके अलावा किसी भी सरकारी अफसर को जमीन खरीद-फरोख्त की सूचना राज्य सरकार को देनी जरूरी होती है। जिला शिमला में अफसरों की जमीन खरीदने की चाहत के चलते उस जगह जमीन के रेट भी बढ़ जाते हैं, जहां जमीन की खरीद हुई होती है।

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