उत्तराखंड। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए मकर संक्रांति स्नान को जिला प्रशासन पहले ही प्रतिबंधित कर चुका है। अब श्रद्धालुओं को जिले के अंदर आने और गंगा घाटों तक पहुंचने से रोकने के लिए तैयारी कर ली है। जिलाधिकारी ने सभी उपजिलाधिकारियों को बॉर्डर से ही श्रद्धालुओं को वापस भेजने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा मेला क्षेत्र को जोन और सेक्टर में बांट दिया है। बता दें कि जिला प्रशासन ने शुक्रवार 14 जनवरी को होने वाले मकर संक्रांति स्नान पर पाबंदी लगा दी है। वहीं हरकी पैड़ी सहित सभी गंगा घाटों तक श्रद्धालुओं को नहीं जाने दिया जाएगा। इस दौरान श्रद्धालुओं को रोकने के लिए जिलाधिकारी ने मेला क्षेत्र को छह जोन और 11 सेक्टर में बांट दिया है। इनमें जोनल मजिस्ट्रेट और सेक्टर मजिस्ट्रेट नियुक्त कर श्रद्धालुओं को किसी भी हाल में हरकी पैड़ी क्षेत्र में नहीं जाने की जिम्मेदारी दी गई है। जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय की ओर से देर शाम जारी किए गए आदेशों में हरिद्वार के सभी एसडीएम और तहसीलदार को मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को बॉर्डर से ही वापस भेजने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं इसके अलावा सिटी मजिस्ट्रेट को हरकी पैड़ी क्षेत्र में कानून और शांति व्यवस्था बनाने ओवर ऑल इंचार्ज बनाया गया है। इस बार 14 जनवरी को यानी मकर संक्रांति पर्व पर रोहिणी नक्षत्र और त्रिग्रही योग पड़ रहा है। इस दिन सूर्यदेव उत्तरायण होंगे। वहीं खरमास समाप्ति के साथ ही शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। इस दिन सूर्यदेव दोपहर 2.27 बजे अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे। यह योग सबके लिए अच्छा होगा, लेकिन सात राशियों वाले लोगों के लिए इसका प्रभाव अच्छा नहीं रहेगा। आईआईटी स्थित सरस्वती मंदिर के पुजारी आचार्य राकेश शुक्ल ने बताया कि इस बार संक्रांति की तिथियों को लेकर मतभेद हो रहा है। हालांकि ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 14 जनवरी को सूर्य देव जिस समय राशि परिवर्तन करेंगे, वे समय दोपहर दो बजकर 27 मिनट का होगा। ऐसे में संक्रांति का पुण्यकाल 16 घंटे पहले और 16 घंटे बाद होगा। उन्होंने बताया कि संक्रांति के साथ ही विवाह, मुंडन, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। शादी के मुहूर्त 20 फरवरी तक रहेंगे। 24 जनवरी से बृहस्पति के अस्त होने से फरवरी अंतिम सप्ताह से 13 मार्च तक शुभ काम नहीं होंगे। 14 अप्रैल के बाद ही फिर शुभ कार्य शुरू होंगे। आचार्य शुक्ल ने बताया कि संक्रांति पर खिचड़ी, गर्म कपड़े, तिल, चावल, घी, कंबल और गुड़ दान करने का विशेष महत्व है। इसी दिन भागीरथी की तपस्या से मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। इस दिन गंगा में स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।