पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि खेड़ा के बालाजी का दरबार बोराड़ा की पावन भूमि पर श्री राम कथा का चतुर्थ दिवस-रामावतार के कारण- जय-विजय को सकादिकों का श्राप, उनके उद्धार के लिए भगवान् ने अवतार लिया। सती वृंदा का भगवान को श्राप, एक सती के वचन को सत्य करने के लिए भगवान ने अवतार लिया। नारद मोह, मनुशतरूपा एवं प्रताप भानु की कथा का गान किया गया। रामावतार के कारण एवं प्रभु श्रीराम के प्राकट्य की कथा का गान किया गया। सत्संग के अमृत बिंदु-शान्ति ज्ञानी या विद्वान बनने से नहीं, भक्ति में सराबोर होने से मिलती है। सत्य की हत्या करने वालों को शान्ति कहां से मिलेगी? भावों से भरा हुआ हृदय ही परमात्मा के निकट द्रवित होता है और उसी को जीवन में शान्ति मिलती है। आज का मनुष्य न घर छोड़ सकता है, न घर में शान्ति से रह सकता है। संयम एवं सादगी से ही जीवन में शान्ति और संतोष मिलता है। मान और प्रेम दूसरों को देते रहो। इससे मन शान्त रहेगा। सुख बाहरी सुविधाओं में नहीं आंतरिक तृप्ति में रहता है। दूसरे को सुखी करके आनंद का अनुभव करने वाला महा सुखी है, राम और भरत जैसे भाई हों,तभी रामराज्य आ सकता है। संतोष से ही शांति मिलती है।सर्वेश्वर से स्थापित किया गया सम्बन्ध ही शांति प्रदान करता है। अनेक जन्मों में विषय-भोग भोगते आ रहे हैं, फिर भी शान्ति नहीं मिली तो भविष्य में कहां से मिलेगी? मनुष्य चाहे अपना कर्तव्य भूल जाएँ, लेकिन परमात्मा नहीं भूलता। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।