पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री खेड़ापति बालाजी दरबार बोराड़ा की पावन भूमि पर श्रीराम कथा का षष्टम दिवस-श्री सीताराम विवाह-नगर दर्शन, पुष्प वाटिका प्रसंग, धनुषयज्ञ, श्री लक्ष्मण परशुराम संवाद, श्री सीताराम विवाह की कथा का गान किया गया। सत्संग के अमृत बिंदु-प्रभु-स्मरण सांसारिक काम करते-करते परमात्मा को भूल न जाएं इसका हमें हमेशा ख्याल रखना है। लोग दुःखी है क्योंकि लोग परमात्मा को भूल गए हैं, उनके उपकार को भूल गए हैं। जो ईश्वर को भीतर ढूंढने के बजाय बाहर ढूंढते हैं उनकी फजीहत होती है। वर्ष में कम-से-कम एक-आध महीना तो तीर्थ में जाकर, प्रभु-भजन अवश्य करो। ईश्वर वाणी का विषय नहीं है। वह तो जीवन में अनुभव करने एवं साक्षात्कार-प्राप्त करने का विषय है।जिसको ईश्वर याद करता है, उसका जीवन सफल होता है। मन को प्रभु में पिरोए रखना ही प्रभु सेवा है। सांसारिक सम्बन्ध शायद धोखा दे, परंतु परमात्मा से बंधा हुआ प्रेम सम्बन्ध कभी धोखा नहीं देता। संसार की विस्मृति हो तभी ब्रह्म सम्बन्ध स्थापित होता है। यदि जगत विस्मृत हो जाए और मन प्रभु-स्मरण में खो जाए, तो प्रभु के साथ प्रेम-सम्बन्ध बँध जाता है। ईश्वर को भूलने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। सुख में प्रभु का स्मरण करो, दुःख में धीरज रखो। धंधा करते समय हमेशा परमात्मा को याद करो। सतत प्रभु स्मरण से जीवन की सार्थकता के द्वार पर पहुंचा जा सकता है। स्मरण के साथ किया गया सत्कर्म ही प्रभु के पास पहुंचाता है। संसार रूपी सरोवर में सावधानी से नहाओ और हरि की शरण के लिए आर्द्र हृदय से प्रार्थना करो। केवल प्रभु का स्मरण ही काल के पंजे से छुड़ाता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।