नई दिल्ली। भारत समुद्री क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने के लिए लगातार अपनी शक्ति को बढ़ा रहा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मुम्बई के मझगांव डाक पर भारतीय नौसेना के अग्रिम पंक्ति के स्वदेश निर्मित दो युद्ध पोतों ‘सूरत’ और ‘उदयगिरी’ का जलावतरण करते हुए कहा है कि मुख्य भूमि से दूर देश के आर्थिक और सामरिक हितों की रक्षा करने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों तक सैन्य ताकत को बढ़ाना जरूरी है। यह उचित है और इस पर तेजी से काम किये जाने की जरूरत है।
हिन्द प्रशान्त एवं हिन्द महासागर क्षेत्रों में अनिश्चितता की स्थिति को देखते हुए इस क्षेत्र में सुरक्षित वातावरण बनाये रखने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है, इसलिए भारतीय नौसेना को मजबूत करना जरूरी हो गया है। ऐसे में आईएनएस विक्रान्त के साथ सूरत और उदयगिरी मील का पत्थर साबित होंगे। यह पहला अवसर है जब स्वदेश निर्मित दो युद्धपोतों का जलावतरण एक साथ किया गया है।
सूरत प्रोजेक्ट 15- बी कार्यक्रम के तहत बनने वाला चौथा विध्वंसक पोत है। इसकी रफ्तार 56 किलोमीटर प्रतिघंटा है और यह रडार को चकमा देने में सक्षम है। निःसन्देह इससे भारत की समुद्री शक्ति बढ़ेगी और भारत किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूर्ण सक्षम होगा। इसके साथ ही भारत को वायुसेना और थलसेना को भी और मजबूत बनाना होगा। इसके लिए सरकार को सेना में रिक्त पड़े पदों पर बड़े पैमाने पर नियुक्ति करनी होगी जिससे भारत किसी भी स्थिति से निबटने में सक्षम हो।
वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए और खास कर चीन भारत के सीमा क्षेत्रों में जिस तरह अपनी सैन्य शक्ति और आधारभूत ढांचे को मजबूत बना रहा है, उसको देखते हुए भारत को अपनी सैन्य शक्ति को और बढ़ाना होगा। चीन को मजबूत जवाब देने के लिए जल, थल और वायुसेना को मजबूत बनाना आवश्यक ही नहीं अपरिहार्य है।