पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ कथा महामहोत्सव (पंचम-दिवस) भगवान् श्रीकृष्ण की बाललीला-पूतना उद्धार लीला के बाद गोपियां भगवान के नाम से भगवान बालकृष्ण को झाड़ा देती हैं। उनका नजर गुजर उतारती हैं, पूतनाष्टक का पाठ करती हैं। भगवान् बड़े प्रसन्न होते हैं कि- संत और शास्त्र सब कहते हैं, भगवान से बड़ा भगवान का नाम है।देखो ये शास्त्र का सिद्धांत सत्य हो गया। रक्ष्य से रक्षक बड़ा होता है, हम रक्ष्य हो गये और नाम हमारा रक्षक हो गया। हम पोष्य हो गये नाम हमारा पोषक हो गया। हम बालक हो गये नाम हमारा पालक हो गया। भगवान के नाम की क्या महिमा है? इसे शास्त्रों में पढ़कर, संतो से सुनकर, इस पर शंका करना ये बहुत बड़ा नामापराध है। भगवान के नाम से ही हमारा कल्याण हो सकता है, तो हम इतना जाप क्यों न करें, जिससे नाम की महिमा हमारे हृदय में बैठ जाय और जिसके हृदय में भगवान के नाम के प्रति अपार श्रद्धा है उसका जीवन सफल हो गया।
भगवान के नाम से ही हो सकता है हमारा कल्याण: दिव्य मोरारी बापू
माखन चोरी लीला के अनेक भाव हैं। ईश्वर प्राप्ति के लिए
त्रिगुणातीत होना आवश्यक है। भक्त साधन करके तमोगुण और रजोगुण को तो पार कर लेता है लेकिन सतोगुण को पार पाना उसके लिए कठिन है। माखन सतोगुण का प्रतीक है और माखन चोरी लीला का रहस्य है सतोगुण का भी अभिमान हटाकर त्रिगुणातीत स्थिति को प्राप्त कराना और जीव को अपनी प्राप्ति के योग्य बना देना। दूसरा भाव भक्ति भावना प्रधान है। भगवान बालकृष्ण अपनी सखा मंडल के साथ सबके यहां माखन चुराने नहीं पधार थे। भक्त लोग माखन तैयार करके रखते और भगवान से प्रार्थना करते आज आप हमारे घर का माखन चुराना, जिसकी प्रार्थना में ज्यादा बल होता था उसके यहां भगवान पधारते थे। इसका एक आध्यात्मिक भाव है कि- भक्त भगवान से प्रार्थना करता है प्रभु हमने साधन करके एक नहीं अनेक बार अपने मन, बुद्धि, चित्त अहंकार को पवित्र बनाया। मन आप में लग जाय ऐसी बड़ी चेष्टा की, लेकिन बीच में कोई बाधा आ गयी और मन संसार में ही चला गया। अब तो तब बात बनेगी जब हमारे विशुद्ध मन की चोरी आप स्वयं करें। माखन चोरी लीला अर्थात् भक्तों के मन की चोरी की लीला और जिसका मन भगवान ने चुरा लिया, फिर उसे भगवान के अलावा कुछ अच्छा ही नहीं लगता और अगर ऐसा हो गया तो सहज ईश्वर प्राप्ति और मानव जीवन सफल हो गया। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।