रिसर्च। इंसानों के जीवन की रक्षा के लिए पौधों का संरक्षण बेहद जरूरी है। हमारी बहुत सारी जरूरतों की पूर्ति पौधे ही करते हैं। हमारे जीवन को जलवायु परिवर्तन खतरे में डाल रहा है। साथ में पेड़ों-पौधों के अस्तित्व को भी खतरे में डाल रहा है। लंबे सूखे, भीषण तूफान, तबाही मचाने वाली बाढ़ों ने पौधे के अस्तित्व को भी चुनौती दी है। एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने अनुवांशिकी स्तर पर पौधों के प्रोटीन के जीवन के बारे में ऐसे जानकारियां पाई हैं जिनके उपयोग से पौधे सूखे के हालात में भी लंबा जीवन जी सकते हैं।
हेडिलबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पौधे के अहम प्रोटीन की ऐसी प्राणाली खोजी है जो प्रोटीन के जीवन को नियंत्रित करती है। प्रोटीन पौधों में बहुत सारे उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं जो पौंधों के मूल निर्माण तत्व के रूप में काम करते हैं। एक पौधे की कोशिकाओं में 20 अरब से ज्यादा प्रोटीन अणु काम करते हैं, इससे उनकी संरचना में स्थायित्व आता और वे कोशिकाओं का मैटाबॉलिज्म कायम रखते हैं।
हेडिलबर्ग यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ऑर्गेनिस्जमल स्टडीज के शोधकर्ताओ ने ऐसे जैविक प्रक्रिया पर रोशनी डाली है जो पौधों के प्रोटीन के जीवन को बढ़ा सकती है। उन्होंने N Terminal acetylation नाम के प्रोटीन की खोज की है जो इस प्रणाली को नियंत्रित करता है। मॉलीक्यूलर प्लांट एंड साइंस एडवांसेस में प्राकशित अध्ययन में बताया गया है कि कैमिकल मर्कर की तरह काम करने वाला यह रसायन प्रोटीन के उत्पादन के दौरान बनता है।
शोधकर्ताओं ने HYPK प्रटीन की विशेषताओं की पड़ातल के लिए थाले क्रेस नाम के पौधे (Plant) का उपयोग किया। इसके जीनोम का पहले से ही अच्छे से अध्ययन किए जाने की वजह से पब्रासिकासीए परिवार के यह एक लोकप्रिय जीवित प्रतिमान है। अनुवाशकीयरूप से बदले गए पौधों पर हुए शोध ने दर्शाया है कि प्रोटीन का जीवन तब कम हो जाता है जब HYPK प्रोटीन अनुपस्थिति रहता है और एन टर्मिनल एसिटाइलेशन नहीं बनता है।
उसी समय सूखे के दौरान भी पौधों का प्रतिरोध भी बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि उनका शोध इस दिशा में चला गया कि वे पता लगाएं कि पौधों में यह सूखे के प्रतिरोध की क्षमता कैसे विकसित हो जाती है। इस अध्ययन में हेडिलबर्ग के शोधकर्ताओं के साथ चीन में बीजिंग के चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस के शोधकर्ताओं ने प्रोफेसर डॉ योंगहोंग वाग के निर्देशन में काम किया।