श्री कृष्ण की सिखाई ये बातें हमेशा दिखाएंगी सही रास्ता…

लाइफ स्टाइल। भगवान श्रीकृष्ण ने हमेशा कर्म पर बल दिया है। उन्होंने अर्जुन को रणभूमि में समझाते हुए कहा है कि मनुष्य को सदैव अच्छे कर्म करते जाना चाहिए,फल की चिंता ईश्वर पर छोड़ देनी चाहिए। श्रीकृष्ण ने जीवन जीने के तरीके को परिभाषित किया है। श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन ही एक प्रबंधन की किताब है,जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन जीने के लिए श्रेष्ठम सूत्र हैं। कृष्ण सिखाते हैं, अगर आप दिमाग को शांत और मन को स्थिर रखने की कोशिश करें तो बुरी परिस्थितियों में भी आप अपने लिए कुछ बहुत बेहतरीन हल निकाल पाएंगे। आइए भगवान कृष्ण से सीखें कैसे जीवन को श्रेष्ठ बनाया जाए-

स्वस्थ्य शरीर से मिलती है विजय:-
कान्हा का बचपन माखन-मिश्री खाते हुए गुजरा। आज भी लोग बाल गोपाल को यही भोग लगाते हैं। ये इस बात का संकेत है कि हमारा आहार हमेशा अच्छा हो,शुद्ध हो,बल देने वाला हो। अगर शरीर को निरोगी रखना है तो बचपन से ध्यान देने की जरूरत है। ये पैरेटिंग के दौर से गुजर रहे लोगों के लिए बड़ा मैसेज है,अपने बच्चों को ऐसा खाना दें,जो उनको बल दे। सिर्फ स्वाद के फेर में पड़ के जंक फ़ूड ना खिलाएं।

पढ़ाई हो रचनात्मक:-
भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा संदीपनी ऋषि के आश्रम में रहकर पूरी की थी। शास्त्रों के अनुसार 64 दिन में उन्होंने 64 कलाओं का ज्ञान हासिल कर लिया था। वैदिक ज्ञान के अलावा उन्होंने कलाएं सीखीं। शिक्षा ऐसी ही होनी चाहिए जो हमारे व्यक्तित्व का रचनात्मक विकास करे। संगीत,नृत्य,युद्ध सहित 64 कलाओं कृष्ण के व्यक्तित्व का हिस्सा हैं। उनकी ये बात हमें ये सिखाती है कि बच्चों में केवल किताबी ज्ञान ना भरें,उनका बहुमुखी विकास करें।

जीवन संघर्ष है,मुकाबला करो:-
कारागृह में जन्मे कृष्ण को पैदा होते ही रात में यमुना पार कर गोकुल ले जाया गया। तीसरे दिन राक्षसी पूतना मारने आ गई। यहां से शुरू हुआ संघर्ष। देह त्यागने से पहले द्वारिका डुबोने तक रहा। कृष्ण का जीवन कहता है, आप संसार में आए हैं तो संघर्ष हमेशा रहेगा। मानव जीवन में आकर ईश्वर भी सांसारिक चुनौतियों से बच नहीं सकता। श्रीकृष्ण कहते हैं परिस्थितियों से भागो मत,उसके सामने डटकर खड़े हो जाओ। क्योंकि,कर्म करना ही मानव जीवन का पहला कर्तव्य है। हम कर्मों से ही परेशानियों को जीत सकते हैं। कृष्ण ने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की,उन्होंने हर परिस्थिति का सामना किया और विजयी रहे।

रिश्तों को सहेजकर रखें:-
भगवान श्रीकृष्ण ने जीवनभर कभी उन लोगों का साथ नहीं छोड़ा,जिनको मन से अपना माना। अर्जुन से वे युवावस्था में मिले, लेकिन अर्जुन से उनका रिश्ता हमेशा मन का रहा। सुदामा हो या उद्धव। कृष्ण ने जिसे अपना मान लिया,उसका साथ जीवन भर दिया। रिश्तों के लिए कृष्ण ने कई लड़ाइयां लड़ीं एवं रिश्तों से ही कई लड़ाइयां जीती। उनकी इन बातों का हमारे लिए ये संदेश है कि सांसारिक इंसान की सबसे बड़ी धरोहर रिश्ते ही हैं।

शांति से सब कुछ संभव है:-
कृष्ण ने महाभारत युद्ध के पहले शांति से समझौता करने के लिए पांडवों और कौरवों के बीच मध्यस्थता की। हालांकि दोनों ही पक्ष युद्ध लड़ने के लिए आतुर थे लेकिन कृष्ण ने हमेशा चाहा कि कैसे भी युद्ध टल जाए। झगड़ों से कभी समस्याओं का समाधान नहीं होता है। शांति के मार्ग पर चलकर ही हम समाज का रचनात्मक विकास कर सकते हैं। कृष्ण ने समाज की शांति से मन की शांति तक,दुनिया को ये समझाया कि कोई भी परेशानी तब तक मिट नहीं सकती,जब तक वहां शांति ना हो। फिर चाहे वो समाज हो,या हमारा खुद का मन।

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