अंधकार से अन्धकार नही हो सकता नष्ट: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि पूजन में, पाठ में, जप में अनुराग चाहिए। तो आपके इष्ट देव में चमत्कार आयेगा। आपके सेवा में विराजमान परमात्मा के विग्रह आपसे बात करेंगे, आपके प्रश्नों के उत्तर आपको मिल जायेंगे। संतो के जीवन का अनुभव है, आप अनुराग से पूजन कीजिए और फिर देखिए आपके इष्ट देवता आपके भविष्य की सूचना आपको देते रहते हैं या नहीं ? आपको गलत कार्य से रोकते हैं या नहीं? आप की आराधना में अनुराग होना चाहिए। पुष्प वाटिका प्रसंग में भगवती सीता ने दुर्गा जी का पूजन किया। पूजा कीन्ह अधिक अनुरागा। निज अनुरूप शुभग बरू माँगा। अति अनुराग से पूजन किया और उसका फल क्या हुआ? एक सखी उसी समय पुष्प वाटिका देखने गई। श्री राम लक्ष्मण को देखकर आई। उसकी आंखों में अश्रु है, तन की सुध नहीं है। सखियों ने पूछा, तो कहने लगी-देखन बागु कुअँर दुइ आये। बय किशोर सब भांति सुहाए। अनुराग से की गई पूजा का तात्कालिक लाभ, मंगल संदेश, मंगल दर्शन हुआ। उठहु राम भंजहु भव चापा। धनुष का टूटना क्या है ? अभिमान का टूटना ही धनुष का टूटना है। धनुष अर्थात् अभिमान, अहंकार। यह धनुष किसका है ?श्री शिवजी का, और शिवजी अहंकार के देवता है और वह धनुष दे दिया जनक जी को। जब श्री शंकर जी ने महाराज श्री जनक जी को धनुष दिया, तो बाण साथ में क्यों नहीं दिया? यह भी तो एक प्रश्न है, कि जब धनुष दिया तो बाण भी देना था। तो बोले नहीं,अहंकार के ऊपर से मनरूपी बाण चलाओगे तो अनर्थ हो जायेगा। तो केवल धनुष इसीलिए दिया- यह चलाने के लिए नहीं, यह तो तोड़ने के लिए है। अगर अभिमान टूट जायेगा तो भक्ति और भगवान् का मिलन हो जायेगा। अभिमान को तोड़ना है, चलाना नहीं है। अभिमान को चलाओगे तो खतरनाक हो जायेगा। आप अंधकार में और अंधकार ले जाओगे तो अंधकार और गहरा हो जायेगा। अंधकार नष्ट, अंधकार से नहीं होता, वह तो प्रकाश से नष्ट होता है। प्रभु श्री राम ने क्षण भर में ही धनुष उठाया, उस पर डोर चढ़ाई, और तोड़ दिया। आकाश में बाजे बजने लगी, पुष्पों की वर्षा हुई, जय जयकार होती है। तीनों लोकों में यश छा गया। महि पाताल नाक जसु व्यापा। राम बरी सिय भंजेउ चापा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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