लाइफ स्टाइल। आज ‘विश्व शाकाहारी दिवस’ मनाया जा रहा है। शाकाहारी भोजन को बढ़ावा देने और शाकाहारी जीवनशैली के स्वास्थ्य और मानवीय लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 1 अक्टूबर को ‘वर्ल्ड वेजीटेरियन डे’ मनाया जाता है। ‘विश्व शाकाहारी दिवस’ की शुरुआत 1977 में उत्तर अमेरिकी शाकाहारी सोसायटी द्वारा शाकाहारी भोजन के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को जानवरों के जीवन को बचाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी।
अक्टूबर का महीना शुद्ध शाकाहारी भोजन करने वालों को समर्पित है। यह महीना अधिकांश लोगों को शाकाहार की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। क्योंकि शाकाहारी होना ना सिर्फ सेहत के लिए अच्छा होता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अच्छा होता है। शाकाहारी भोजन पूरी तरह से प्लांड बेस्ड होता है, इसमें कई पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट विकल्प मौजूद होते हैं। आइए जानते हैं शाकाहारी भोजन करने के सेहत पर क्या लाभ होते हैं-
क्या है शाकाहारी डाइट:-
शाकाहारी डाइट में मांस, मछली, सीफूड आदि शामिल नहीं होते हैं, लेकिन डेयरी और अंडा शामिल होता है। साथ ही वीगन डाइट भी एक वेजीटेरियन डाइट ही है, जिसमें मीट, सीफूड, अंडे, डेयरी प्रोडक्ट्स कुछ भी शामिल नहीं होते हैं।
शाकाहारी होने के लाभ:-
–शाकाहारी भोजन में मांस, मछली शामिल नहीं होता है। इसलिए हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बचे रह सकते हैं। आप वेजीटेरियन फूड्स के जरिए भी शरीर में कोलेस्ट्रॉल की आवश्यक मात्रा की पूर्ति कर सकते हैं। शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल और फैट होने से मोटापा, हार्ट डिजीज होने का जोखिम बढ़ सकता है।
-शाकाहारी भोजन कई तरीकों से हार्ट हेल्थ को भी बूस्ट करता है। चूंकि शाकाहारी खाद्य पदार्थों में फाइबर, अनसैचुरेटेड फैट्स की मात्रा कम होती है, इसलिए दिल हेल्दी रहता है। वेजीटेरियन डाइट लेने से ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और हाई कोलेस्ट्रॉल होने का जोखिम कम हो जाता है। फाइबर, अनसैचुरेटेड फैट्स जैसे न्यूट्रिएंट्स शरीर में कोलेस्ट्रॉल को मैनेज करते हैं। साथ ही मीट-बेस्ड डाइट की तुलना में वेजीटेरियन डाइट में सैचुरेटेड फैट, टोटल फैट, कोलेस्ट्रॉल की भी मात्रा काफी कम होती है।
-शाकाहारी डाइट के सेवन से काफी हद तक बढ़ती उम्र में टाइप-2 डायबिटीज होने के जोखिम को कम किया जा सकता है। जब शाकाहारी भोजन करते हैं तो इससे मोटापा और फैट का वितरण शरीर में नहीं होता है। वसायुक्त ऊतक के कारण शरीर इंसुलिन के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो जाता है। प्लांट-बेस्ड डाइट वसा और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जो बदले में फैटी टिशू को कम करने में मदद करता है।
-खाद्य जनित बीमारियों के होने का खतरा कम करता है। यदि आप अधिक मीट, अंडा, सीफूड, मछली का सेवन करते हैं, वह भी सही से साफ ना करके या फिर अधपका तो काफी हद तक फूड-बॉर्न डिजीज होने का रिस्क बढ़ जाता है। फूड पॉइजनिंग हो सकती है। हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि वेजीटेरियन फूड्स खाने से इसका जोखिम कम हो जाता है, लेकिन नॉन-वेजीटेरियन फूड्स के मुकाबले रिस्क कम ही होता है।
-प्लांट-बेस्ड फूड्स मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि अधिक पौधे-आधारित खाद्य पदार्थों का सेवन डिमेंशिया, अल्जाइमर और संज्ञानात्मक नुकसान को काफी हद तक कम कर सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन फूड्स, साबुत अनाज में पॉलीफेनोल्स की मात्रा काफी अधिक होती है।
– शाकाहारी होने पर कई तरह के कैंसर के होने का भी रिस्क कम हो सकता है। प्लांट में फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैं। इनमें न्यूट्रिएंट्स, विटामिंस, मिनरल्स भी काफी होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखते हैं। इसके अतिरिक्त, रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट को कुछ प्रकार के कैंसर से जोड़ा गया है, जिसमें कोलन, रेक्टम, प्रोस्टेट, अग्नाशय और पेट का कैंसर शामिल है। इस तरह के मांस का सेवन यदि आप कम करें तो काफी हद तक कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।
-शाकाहारी भोजन करने से पर्यावरण को भी लाभ होता है। पशु ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सब्जियों या अनाज की तुलना में अधिक कार्बन फूटप्रिंट होता है। मीट-बेस्ड डाइट प्लांट-बेस्ड डाइट की तुलना में 2.5 गुना अधिक कार्बन उत्सर्जन बढ़ाता है। ये ग्रीनहाउस गैसें दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन में योगदान करती हैं।