पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध प्रारंभ होने से पहले अर्जुन ने भगवान् श्री कृष्ण को कहा- हे अच्युत! मेरे रथ को उभय सेना के बीच में ले जा करके खड़ा कर दो, ताकि मैं देख सकूं इस युद्ध में मुझे किसके साथ लड़ना है और उस वीर की इस भावना को देखकर श्री कृष्ण बड़े प्रसन्न हुए। अब देखिए! यहां पर अर्जुन जो कह रहे हैं उसमें आज्ञा है।’ स्थापय ‘ आज्ञार्थ है,। अब हम ये समझें अर्जुन कहां और भगवान् श्री कृष्ण कहां?अर्जुन आज्ञा दे रहे हैं बिल्कुल ठीक है। क्योंकि यहां अर्जुन रथी हैं और श्रीकृष्ण सारथी हैं। रथी, सारथी को आज्ञा देता है और सारथी को रथी की आज्ञा माननी होती है। वह ऐसे ही जैसे- सेठ जी बाहर निकले दफ्तर जाने के लिए, वे कोठी से जैसे बाहर आये। ड्राइवर ने कार वाला पीछे का दरवाजा खोला, प्रणाम किया, साहब अंदर बैठे, बैग अंदर रख लिया, ड्राइवर ने दरवाजा बंद किया, एकदम शिष्टाचार के साथ और फिर घूम करके आया दरवाजा खोल कर अपनी ड्राइविंग सीट पर बैठा, दरवाजा बंद किया। कार को स्टार्ट किया और फिर पीछे वाली सीट से साहब का ऑर्डर चलता है। जैसे- ‘ड्राइवर! फैक्ट्री , और ड्राइवर कहता है, ‘जी सर!’ ऐसी आज्ञा ये है। ‘सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेऽच्युत।’ ‘स्थापय ‘ आज्ञार्थ है और भगवान् बड़े प्रसन्न हुए उस आज्ञा को सुनकर। अभी ले चलता हूं पार्थ और भगवान् ले आये रथ को। उभय सेना के बीच में खड़ा कर दिया। जो व्यक्ति धर्म का पक्ष लेगा, ईश्वर उसका ड्राइवर भी बनने के लिए तैयार खड़ा रहेगा। जो अधर्म का पक्ष लेगा उसके पुत्र भी उसका साथ छोड़ देंगे, उसके भाई भी उसका साथ छोड़ देंगे, अधर्म करने वाले रावण के भाई विभीषण ने भी उसका साथ छोड़ दिया। गलत कार्य करने वाले हिरण्यकश्यप को पुत्र प्रहलाद ने भी छोड़ दिया। सही काम करोगे तो भगवान् भी आपका ड्राइवर बनकर साथ देने के लिए खड़े रहेंगे, श्री नरसी भगत अपने पुत्र की बारात लेकर जा रहे थे। बूढ़े बैल, टूटी गाड़ी, भगवान् स्वयं ले करके गये। भगत बुडाला की गाड़ी चलाकर भगवान् स्वयं द्वारिका से डाकोर लाये। ऐसी अनेक कथाएं हैं। हमें अच्छा बनने की आवश्यकता है, भगवान् की कृपा में देर नहीं है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।