रोचक जानकारी। छींक शरीर की एक नेचुरल प्रक्रिया है जो ब्रेन को बताती है कि हमारे नाक के भीतर कोई बाहरी चीज प्रवेश कर रही है। हमारे शरीर में कुछ स्नीज सेंटर होते हैं जो उन मांसपेशियों को संदेश भेजने का काम करता है जो छींक को पैदा करते हैं।
इनमें से कुछ मांसपेशियां सीने में होती हैं, कुछ वोकल कॉड में, कुछ गले में और कुछ पेट में। ये सभी एक साथ एक्टिव होती हैं और नाक में प्रवेश करने वाली उन बाहरी चीज को बाहर फेंकने का काम करती हैं।
नर्व से शुरू होती है छींक:-
छींक आने के लिए सभी के नर्व सिस्टम एक तरह ही काम करते हैं लेकिन उनका रास्ता अलग-अलग होते हुए ब्रेन तक पहुंचता है। यही कारण है कि अलग-अलग लोगों को अलग-अलग वजह से भी छींक आती है जैसे- किसी को धूप में जाते ही छींक आती है तो किसी को आईब्रो प्लक करते हुए।
बॉडी को सेफ रखती है छींक:-
छींक प्रतिरक्षा प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें स्वस्थ रहने में मदद करती है। अगर नाक में किसी तरह का बैक्टीरिया और वायरस पहुंचता है तो नाक को साफ करने के लिए छींक आती है।
इस तरह आती है छींक:-
जब कोई बाहरी चीज नाक में प्रवेश करती है तो ब्रेन के निचले हिस्से में हलचल होती है। यहां से तेजी से गले, आंखों और मुंह को कसकर बंद करने के लिए मैसेज भेजे जाते हैं। इसके बाद, छाती की मांसपेशियां तेजी से सिकुड़ती हैं और फिर गले की मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती हैं। हवा- सलाइवा और बलगम के साथ मुंह और नाक से बाहर तेजी से निकलती है। इस तरह छींक के साथ बाहरी चीजें बाहर आ जाती हैं।
छींक की रफ्तार:-
छींक लगभग 100 मील प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा करती है। जबकि एक छींक हवा में 100,000 कीटाणु स्प्रेड कर सकती है।
इन चीजों से आ सकती है छींक:-
कई बार लोगों को लाइट सेंसिटिविटी की वजह से धूप में आने से छींक आने लगती है। जबकि कई लोगों को वर्कआउट के दौरान हाइपर वेंटिलेशन की वजह से मुंह और नाक के ड्राई होने के कारण छींक आती है। चेहरे के बालों को प्लक करने से या कई अन्य कारणों से भी छींक आने लगती है।