पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीकृष्ण- ‘तितिक्षा दुःख संमर्षः। ‘ जीवन में आने वाले कष्टों को हंसकर सहना ही तितिक्षा है। सर्दी-गर्मी, भूख-प्यास, रोग-व्याधि आदि विषमताओं, कठोरताओं में बुद्धि को संतुलित रखें और खुश होकर कहें,’ प्रभु ‘ तेरे फूलों से भी प्यार, तेरे कांटों से भी प्यार ‘। आपत्ति आती है तो अपना समय लेकर ही जाती है। ज्ञानी इसको हंसकर सहन कर लेता है, अज्ञानी रोकर समय बिताता है। समय दोनों अवस्थाओं में बीत जाता है परंतु ज्ञानी तनाव में नहीं आता। जीवन में द्वंद आते ही हैं। दुःख आया है तो जायेगा भी।फिर सुख आयेगा। तो प्राणी विचलित नहीं होता, वही स्थिर बुद्धि कहलाता है। जो लोग यह कहते हैं कि परिस्थितियां अगर अनुकूल होती तो हम भी भजन करते हैं। वे कभी भगवान् का भजन नहीं कर सकते। क्योंकि प्रारब्ध के अनुसार अनुकूलता प्रतिकूलता आती रहती है भजन वही कर सकते हैं जो कहते हैं परिस्थितियां कैसी भी हो लेकिन हम परमात्मा का भजन छोड़ने वाले नहीं हैं। जो हृदय की सद्भावना हो, उसके लिए भगवान् से प्रार्थना करते रहना चाहिए। कभी न कभी भगवान कृपा करेंगे और जीवन धन्य हो जायेंगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)