पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सात वर्ष की आयु में सात कोस का गोवर्धन, सात दिन के लिये अंगुली पर उठाया, मायने भजन के लिये, शरणागति के लिये, मुक्ति के लिये भी दिन सात ही है। जब सेतुबंध रामेश्वरम् में पुल बांधा जा रहा था, श्री हनुमान जी महाराज गोवर्धन को हिमालय से उठा करके लेने गये। श्रीगोवर्धन जी ने कहा कि एक शर्त पर चलूंगा कि श्रीरामजी के श्री चरण मेरे ऊपर से निकलें। श्रीहनुमानजी ने कहा ठीक है। लेकिन जब वहां पहुंचे, पुल बन चुका था और श्रीरामजी ने कहा कि अब कोई गिरि-पादप की आवश्यकता नहीं है, पुल बन चुका है। श्री हनुमान जी ने कहा लेकिन मैं वचन देकर आया हूं कि श्री गिरिराज जी को आपके श्री चरण के स्पर्श का लाभ मिलेगा। मेरे वचन का क्या होगा? श्रीरामजी ने कहा कि इन्हें यमुना के तट पर स्थापित करो। द्वापर में मैं जब श्रीकृष्ण रूप में अवतार लूँगा। चरण का स्पर्श तो क्या हाथ में भी सात दिन के लिये उठाये रखूंगा। भगवान श्री कृष्ण की अवस्था सात वर्ष की है, गिरिराज गोवर्धन भी सात कोस के हैं, और दिन भी सात हैं। जिनमें श्री गोवर्धन जी को भगवान् ने अंगुली पर उठाकर रखा। श्री गिरिराज जी भगवान् नंद नंदन श्याम सुंदर श्री कृष्ण के ही प्रत्यक्ष स्वरूप है। श्रीगोवर्धनजी का दर्शन करने से प्रत्यक्ष भगवान् के दर्शन का फल प्राप्त होता है। श्री गोवर्धन जी को प्रणाम, पूजन, छप्पन भोग, परिक्रमा करने से प्रत्यक्ष भगवान् के पूजन परिक्रमा का फल मिलता है। श्रीमद् भागवत कथा में अथवा अपने पूजा स्थल में गोवर्धन बना करके पूजा अर्चा करने से प्रत्यक्ष गोवर्धन भगवान् की पूजा अर्चा का फल प्राप्त होता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना- श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)