होली में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए पैरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान

पैरेंटिंग। इस बार होली का पर्व 7-8 मार्च को मनाया जाएगा। होली रंगों का त्योहार है। इस त्योहार में लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और करीबियों के चेहरे पर गुलाब-अबीर लगाकर होली मनाई जाती है। होली के त्योहार के लिए बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी उत्साहित रहते हैं। सबसे ज्यादा होली का इंतजार बच्चों को रहता है। होली के मौके पर अपनी पिचकारी और रंग लेकर बच्चे घर से बाहर निकल जाते हैं और अपने दोस्तों संग रंगों से खेलते हैं। कई बच्चे तो एक दो दिन पहले से ही पानी भरकर पिचकारी से खेलने लगते हैं। हालांकि बच्चों के इस उत्साह में पैरेंट्स भी कुछ लापरवाही कर जाते हैं, जिसके कारण त्योहार में खलल पड़ सकती है। ऐसे में बच्चे यदि होली खेलने जा रहे हैं तो अभिभावकों को कई सावधानियां बरतने की जरूरत होती है, ताकि बच्चे त्योहार को सुरक्षित तौर पर मना सकें। तो चलिए जानते हैं होली के दौरान बच्चों की सुरक्षा के लिए पैरेंट्स को क्या सावधानी बरतनी चाहिए।

गुब्बारों से होली न खेलें :-
होली के मौके पर पिचकारी और रंग से तो होली खेलते ही हैं, साथ ही बच्चे गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। बाजार में होली वाले गुब्बारे बिकने लगते हैं। इन गुब्बारों में पानी और रंग भरा होता है, जिसे बच्चे दूसरे पर फेंककर मारते हैं। अचानक पानी से भरे गुब्बारे का अटैक हादसे की वजह बन सकता है। चोट लगने या कोई हादसा न हो, इसके लिए बच्चों को होली के मौके पर गुब्बारे से न खेलने की सलाह दें और उन की निगरानी करें।

केमिकल युक्त रंगों से दूरी :-
होली में गुलाल-अबीर और पक्के रंग मिलते हैं। अधिकांश रंग केमिकल युक्त होते हैं, जो स्किन और आंखों को बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं। केमिकल युक्त रंगों की बजाए हर्बल रंगों से होली खेलें। बच्चों की आंखों को रंगों से बचाने के लिए उन्हें कलरफुल और फंकी गॉगल पहना सकते हैं। होली खेलते समय पूरी बाजू के कपड़े भी पहनाएं, ताकि उनकी अधिक से अधिक स्किन ढकी रहे।

ऑर्गेनिक कलर के इस्तेमाल में सावधानी :-
केमिकल फ्री रंगों का इस्तेमाल करने के लिए बाजार से ऑर्गेनिक कलर खरीदकर ला सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि सिंथेटिक कलर हों या ऑर्गेनिक कलर हो, मुंह के अंदर चले जाने पर यह खतरनाक साबित हो सकते हैं और फूड प्वाइजनिंग व इंफेक्शन का खतरा हो सकता है।
न रखें अधिक देर गीला :-
बच्चे पिचकारी से गीले रंगों और पानी से होली खेलते हैं। घंटों तक गीले कपड़ों में खेलते रहते हैं। होली के दौरान यानी मार्च का मौसम सर्दी और गर्मी के बीच का है। इस मौसम में कभी हल्की सर्दी महसूस होती है तो कभी तेज धूप के कारण गर्म महसूस होता है। इस तरह का मौसम बच्चों को  नुकसान पहुंचा सकता है। अधिक देर बच्चों को गीले कपड़ों में न रहने दें और पानी से होली खेलने से बचें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *