नई दिल्ली। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह का समर्थन किया। सुप्रीम कोर्ट में DCPCR ने कहा कि समलैंगिक विवाहों को लेकर जनमानस में जागरूकता पैदा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को उचित कदम उठाने चाहिए। उन्हें लोगों को यह भरोसा दिलाना चाहिए कि समलैंगिक परिवार भी विषमलैंगिक परिवार इकाइयों की तरह समाज में सामान्य व्यवहार है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ कर रही है। पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर दी गई प्रस्तुतियां एक ओर सांविधानिक अधिकारों और दूसरी ओर विशेष विवाह अधिनियम सहित विशेष विधायी अधिनियमों के बीच परस्पर प्रभाव को प्रदर्शित कर रही हैं। शीर्ष अदालत ने 13 मार्च को समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं को महत्वपूर्ण मुद्दा मानते हुए संविधान पीठ के पास भेज दिया था।
DCPCR ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पालन-पोषण पर कई अध्ययनों से पता चला है कि समलैंगी जोड़े अच्छे माता-पिता हो सकते हैं। वर्तमान में 50 से अधिक देश समलैंगिक जोड़ों को कानूनी रूप से बच्चों को गोद लेने की अनुमति देते हैं। हम मौजूदा कानून की शब्दावली को नागरिक के मौलिक अधिकारों में बाधा नहीं बनने दे सकते हैं। DCPCR ने कहा कि दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने से संबंधित याचिकाओं में हस्तक्षेप करने वाला आवेदन दायर किया है।