पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ईश्वर है प्रकाश और पाप है अंधकार। आप ऐसा करो कि डिब्बे में, पेटी में, पीपे में, अंधकार को भर लो और कहो श्रीमान् जी हम आपको सूर्य के पास ले चल रहे हैं। वह कहेगा नहीं नहीं मुझे वहां मत ले जाओ, क्योंकि वहां जाने पर मेरी सत्ता ही नहीं रह जायेगी। जैसे अंधकार प्रकाश से डरता है, इसी तरह पापी व्यक्ति परमात्मा से डरता है। पापवंत कर सहज सुभाऊ।
भजन मोर तेहि भाव न काऊ।। जौ पै दुष्ट हृदय सोई होई । मोरे सन्मुख आव की सोई।। भगवान् को कौन पाते हैं? निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा।। निर्मल मन। हम लोग भगवान् के चरणों में पुष्प चढ़ाते हैं। पुष्प का दूसरा नाम है सुमन। आप सुंदर- सुंदर गुलाब के और मोगरे के, मोतियों की मालायें और पुष्प लाकर श्री ठाकुर को चढ़ा रहे हो। सुमन चढ़ा रहे हो, ठाकुर कहते हैं कि यह तो बहुत हमने स्वीकार कर लिये। बहुतों ने चढ़ा दिये। ये बाहर के सुमन लाने की वजाये, आप अंदर का सु-मन चढ़ा दो। मन में भक्ति रूपी सुगंधी भरकर, सद्गुण रूपी सुगंधी भर के, अपने मन को प्रभु चरणों में चढ़ा दो, आपका जीवन निहाल हो जायेगा, सफल हो जायेगा। अब हम लोग कृतकृत्य हो जायेगा।। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)