पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कुछ कार्य भक्तों के लिये आवश्यक हैं। गले में भगवान् के नाम की माला धारण करना, मस्तक पर भगवान को चढ़ा हुआ चंदन प्रसाद धारण करना, भगवान के नाम का जप करना और नित्य नियम से अपनी पूजा अर्चना के अलावा अपने आराध्य मंदिर में जाकर भगवान का दर्शन करना। भगवान के नित्य दर्शन के अनंत लाभ हैं। अगर हम नित्य भगवान् का दर्शन करते हैं तो किसी दिन न जा सके, तब हमारा चित्त मंदिर में ही लगा रहता है, कल्याण होता है। नित्य दर्शन करने वाले भक्तों का ध्यान भगवान भी रखते हैं, किसी काम से बाहर गया होगा, इसलिए नहीं आया और ऐसे भक्तों का जब सौ वर्ष पूरा होता है तो भगवान भी दुःख मनाते हैं कि- आज हमारा एक भक्त अपनी जीवन लीला पूरी करके संसार से चला गया। मंदिर जाकर भगवान का नित्य दर्शन करने वाला भक्त इस लोक और परलोक में लाभ में भी रहता है और सुखी रहता है। इसके अलावा योग की अनेक सिद्धियां भी मिलती हैं।
जब भगवान के स्वरूप का दर्शन करने लगोगे, अपने शरीर को भूल जाओगे। चैतन्य महाप्रभु जगन्नाथ पुरी में ठाकुर जगन्नाथ के दर्शन करना चाहते थे। आरती का समय था, बहुत भीड़ थी और जैसे ही पर्दा उठा, लोग एड़ी उठा- उठाकर दर्शन करने की कोशिश करने लगे। एक स्त्री जो हर रोज मंगला आरती में आती थी, उसे आज थोड़ी देर हो गई, वह दौड़ी-दौड़ी आई, आगे पुरुष खड़े हैं, पीछे वह खड़ी है, वह ठाकुर जी का दर्शन करना चाहती है। उसको ऐसा लगा कि आज मंगला आरती के दर्शन नहीं हो पायेंगे। उसे कोई चीज ऐसी दिखाई दी जिस पर चढ़ जाये। उसने एक पैर उस वस्तु पर रखा और दूसरा पैर चैतन्य महाप्रभु के कंधे पर रख दिया और खड़े होकर ठाकुर जी का दर्शन करने लगी। चैतन्य महाप्रभु के शिष्यों ने उसे पकड़कर नीचे खींचा और डांटने-मारने लगे। चैतन्य महाप्रभु छुड़ाया और उसके चरणों में लौट गये और अपने शिष्यों को डांटा। उन्होंने कहा, मूर्खो! तुम इसे डांटते हो। स्त्री के अंदर कितनी लज्जा होती है, कितना संकोच होता है। वह पर पुरुष का स्पर्श करने में भी सकुचाती है और यह मेरे कंधे पर खड़े होकर दर्शन कर रही है। इसका मतलब है कि वह अपने देहभाव से ऊपर उठ गई है, उसे जगन्नाथ यह पत्थर नहीं साक्षात् श्रीकृष्ण नजर आते हैं। इसका वंदन करना चाहिए कि इसके जीवन में ऐसी निष्ठा और लगन आ गई है।
सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश), श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)