Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक शादी के रहते ही दूसरी शादी करने वाली व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया। पुणे पुलिस ने एफआईआर में आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 494 (द्विविवाह) के तहत मामला दर्ज किया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि यह न केवल द्विविवाह की श्रेणी में आता है बल्कि उसका आचरण भी बलात्कार के समान है।
दरअसल, एफआईआर में कहा गया है कि फरवरी 2006 में महिला के पति की मृत्यु हो जाने के बाद याचिकाकर्ता मोरल सपोर्ट देने के नाम पर उसके पास जाने लगा। दोनों पेशे से शिक्षक हैं। याचिकाकर्ता ने महिला से कहा कि उसकी अपनी पत्नी से नहीं बनती है, और बाद में उसे विश्वास दिलाया कि उसने अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया है। इसके बाद महिला और शख्स ने जून 2014 में शादी की और 31 जनवरी 2016 तक साथ रहे।
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फिर याचिकाकर्ता ने उस महिला को छोड़ दिया जिससे उसने दूसरी शादी की थी और वापस अपनी पहली पत्नी के पास चला गया। पूछताछ करने पर दूसरी महिला को एहसास हुआ कि शख्स ने खुद को गलत तरीके से तलाकशुदा बताया था और झूठे वादे के तहत उससे शादी की और झूठे वादे के तहत उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए। शख्स के वकील ने कहा कि महिला को पता था कि 2010 में उसकी पत्नी के खिलाफ शुरू की गई तलाक की कार्यवाही तुरंत वापस ले ली गई थी।
न्यायाधीशों ने कहा कि एक तरफ, याचिकाकर्ता दूसरी शादी की बात स्वीकार कर रहा था जबकि उसकी पहली शादी चल रही थी और दूसरी तरफ, उसने दावा किया कि उनका रिश्ता सहमति से बना था। न्यायाधीशों ने निष्कर्ष निकाला, ‘इसके अलावा, जब शिकायतकर्ता की पहली शादी चल रही थी तब दूसरी महिला के साथ शादी करने और शारीरिक संबंध स्थापित करने को धारा 376 (बलात्कार) की सामग्री को संतुष्ट करने वाला माना जा सकता है।’