UP: हरियाणा की भाजपा सरकार के अनुसूचित जाति-जनजाति आरक्षण में उपवर्गीकरण के फैसले को लागू करने को लेकर यूपी में भी सियासी सरगर्मियां बढ़ी हुई है. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा हरियाणा सरकार के फैसले का स्वागत करने के सियासी निहितार्थ तलाशे जाने के साथ इस व्यवस्था के जल्द यूपी में भी लागू होने की भी संभावना नजर आ रही है. ऐसे में यदि प्रदेश सरकार इस दिशा में कदम आगे बढ़ाती है तो दलित वोटों के लिए राजनीतिक दलों के बीच घमासान होना तय माना जा रहा है.
बता दें कि एसटी-एसटी आरक्षण के उपवर्गीकरण के फैसले को लेकर बसपा लगातार सुप्रीम कोर्ट द्वारा विरोध करती रही है. हरियाणा चुनाव में उसने इसे मुद्दा बनाकर दलितों को अपने पाले में करने की कवायद भी की. वहीं हरियाणा में भाजपा सरकार बनने के बाद इस मामले में लिए गए फैसले ने यूपी के राजनीतिक दलों की धड़कनें भी बढ़ा दी है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भाजपा ने बनाया हथियार
ऐसे में यदि यूपी सरकार इस मामले को लेकर कोई भी फैसला करती है, तो इससे बसपा समेत दूसरे दलों की मुश्किलें बढ़ना तय हैं. भाजपा के साथ सपा, कांग्रेस के दल भी दलित वोट बैंक को अपने पाले में करने की जुगत में लगे हैं. हालांकि हरियाणा चुनाव में भाजपा की जीत से साफ हो गया है कि दलितों के बीच में पैठ जमाने के लिए उसने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जीत का हथियार बनाया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का डिप्टी सीएम ने किया स्वागत
इसीलिए प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने हरियाणा सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने का स्वागत करते हुए कहा कि आरक्षण का लाभ उन वंचितों तक पहुंचना जरूरी है, जो 75 साल बाद भी हमारे ही समाज का एक बड़ा हिस्सा होने के बावजूद बहुत पीछे रह गया था, उसे आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी सभी दलों की है.
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