India-Pakistan Ceasefire: सीजफायर के बाद भी कम नही होगी पाकिस्‍तान की मुश्किलें, भारत के इस कदम से पानी को भी तरसेगा पड़ोसी देश

India-Pakistan Ceasefire: भारतीय सेना की कार्रवाई में हमले के बाद पड़ोसी देश पाकिस्‍तान को करारी हार और भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। जानकारी के मुताबिक पाकिस्‍तान को इनके पुनर्निर्माण में काफी धन,  समय और ऊर्जा की खपत करनी होगी। आर्थिक तौर पर लगभग दिवालिया हो चुके पाकिस्तान के लिए यह आसान नहीं होने वाला है। फिलहाल दोनों देशों के बीच सीजफायर पर सहमति हो चुकी है, लेकिन जानकार मानते हैं कि इसके बाद भी उसकी मुश्किलें कम होने वाली नहीं हैं।

भारत ने स्‍पष्‍ट रूप से कह दिया है कि सीजफायर के बाद भी सिंधु नदी जल समझौते पर अब उसके रुख में परिवर्तन आने वाला नहीं है। दोनों देशों के बीच सीजफायर के बाद होने वाली महत्त्वपूर्ण बैठक के पहले भारत का यह रुख यह बताने के लिए पर्याप्त है कि वह किसी के दबाव में आकर सिंधु नदी जल समझौते पर पुनर्विचार करने वाला नहीं है।

अब ‘पाकिस्तान भारत के हाथ’

भारतीय नदी परिषद के संरक्षक मनु गौर का कहना है कि पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत की 90 प्रतिशत खेती सिंधु नदी के पानी पर निर्भर करती है। यदि भारत सिंधु के जल को नियंत्रित करने में सफल रहता है तो इससे पाकिस्तान न केवल गहरे आर्थिक संकट में फंस जाएगा, बल्कि यह उसके जीवन-मरण का प्रश्न बन जाएगा। 

गर्मियों में बढ़ सकती है पाकिस्तान की मुसीबत

मनु गौर ने बताया है कि सिंधु नदी के जल को रोकने के लिए भारत को इस इलाके में बड़ा बांध बनाना होगा।  जिसमें बहुत समय और पैसे की भी आवश्‍यकता होगी। सिंधु नदी के जल के पूरे उपयोग के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नदियों को जोड़ने के स्वप्न को साकार करना होगा। इसके बाद ही वह सिंधु के जल का सही उपयोग कर पाएगा। इससे सिंधु नदी में जल बहाव काफी कम होगा। जानकारी के मुताबिक कोशिश जारी रखने पर थोड़े से प्रयास से इस सीमित जल को दूसरी तरफ का बहाव देना संभव है। लेकिन भारत का यह काम इन गर्मियों में पाकिस्तान के लिए भारी परेशानी का कारण बन सकता है। 

पाकिस्तान के लिए बड़ी मुसीबत’

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकवाद पाकिस्तान की युद्ध नीति और विदेश नीति का अभिन्न अंग रहा है। पाकिस्तान सरकार और वहां की सेना इसके जरिए अपने मंसूबों को अंजाम देते रहे हैं। 

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि दोबारा कोई आतंकी हमला होता है तो वह इसे भारत के खिलाफ छेड़े गए युद्ध की तरह देखेगा। ऐसे में यदि कोई आतंकी घटना घटी तो पाकिस्तान पर फिर सैन्य कार्रवाई होने का खतरा बरकरार रहेगा। पाकिस्तान के लिए यह दुविधा की स्थिति होगी।  

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