UP : प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में आठ साल से अपने घर के पास जाने की उम्मीद लगाए शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। प्रदेश में शासन ने आठ साल बाद जिले के अंदर सामान्य तबादले व एक से दूसरे जिले में सामान्य तबादले का आदेश जारी कर दिया है। देश में अब बेसिक शिक्षा विभाग इसके अनुसार समय सारिणी जारी कर तबादले की प्रक्रिया पूरी करेगा।
शिक्षकों का किया जाएगा तबादला
जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में 2016 में शिक्षकों के जिले के अंदर सामान्य तबादले किए गए थे। उस समय ऑफलाइन तबादले किए जाते थे। इसके बाद से शिक्षक लगातार सामान्य तबादला करने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में जानकारी सामने आई है कि 2023 में एक से दूसरे जिले में सामान्य तबादले तो किए गए लेकिन जिले के अंदर नहीं हुए।
तर्कसंगत परिनियोजन के तहत तबादला व समायोजन
शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अवधेश कुमार तिवारी ने आदेश दिया है कि आरटीई की नियमावली के मानकों के अनुसार विद्यालयों में तर्कसंगत परिनियोजन (रेशनल डिप्लॉयमेंट) के तहत जिले के अंदर तबादला व समायोजन किया जाएगा। इस तबादले के दौरान डीएम की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय कमेटी होगी। इसमें सीडीओ, डायट प्राचार्य व बीएसए शामिल होंगे। तबादले ग्रामीण सेवा संवर्ग से नगर क्षेत्र में किए जाएंगे।
विद्यालयों में आवश्यकतानुसार शिक्षकों का तबादला
उन्होंने तय किया है कि जिन विद्यालयों में अधिक शिक्षक है उनका आवश्यकता वाले विद्यालय में तबादला किया जाएगा। ऐसे में शिक्षकों की जरूरत के अनुसार तबादला व समायोजन नहीं किया जाएगा। शिक्षकों की जरूरत वाले विद्यालयों, यहां रिक्तियों की सूचना पोर्टल पर ऑनलाइन की जाएगी। वहीं शिक्षक से दस विद्यालयों का विकल्प लिया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन ही पूरा माना जाएगा।
एक से दूसरे जिले में तबादला
शासन के दौरान यू-डायस पोर्टल पर उपलब्ध छात्र संख्या के आधार पर आरटीई के मानक के अनुसार छात्र-शिक्षक अनुपात के अनुसार शिक्षकों की आवश्यकता वाले व अधिक शिक्षक वाले जिलों को चिह्नित कर सूची ऑनलाइन की जाएगी। उस जिले में वह सहायक अध्यापकों की वरिष्ठता सूची में निम्न क्रम में रखे जाएंगे। इसी के अनुसार भविष्य में उन्हें पदोन्नति भी दी जाएगी।
तबादले में सेवा अवधि की बाध्यता नहीं
विद्यालयों में शिक्षकों की आवश्यकता को देखते हुए जारी निर्देश के अनुसार एक से दूसरे जिले में सामान्य तबादले के लिए सेवा अवधि की कोई बाध्यता नहीं होगी। इस दौरान जबकि पूर्व में पुरुषों के लिए पांच साल और महिलाओं के लिए दो साल की न्यूनतम सेवा अवधि जिले में पूरी होने की बाध्यता थी।