आज खरना की पूजा से शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत, जानें इसकी विधि और धार्मिक महत्व 

Chhath 2025: छठ महापर्व 25 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है. आज छठ महापर्व का दूसरा दिन यानी ‘खरना’ है. आज व्रती महिलाएं सूर्यास्त तक उपवास करेंगी और भगवान सूर्य और छठी मईया को प्रसाद अर्पित कर अपना उपवास तोड़ेंगी. प्रसाद के रूप में आज गुड वाली खीर और रोटी बनाई जाती है. हालांकि, कई जगहों में अलग-अलग तरह के प्रसाद बनाए जाते हैं. दोस्तों-रिश्तेदारों और आसपास के लोगों को खरना का प्रसाद बांटा जाता है.

खरना का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आज कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि है जो कि कल 27 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 06:04 बजे तक रहेगी. देश की राजधानी दिल्ली के समयानुसार आज सूर्योदय प्रात:काल 06:29 बजे और सूर्यास्त सायंकाल 05:41 बजे होगा. ऐसे में छठ पूजा का व्रत रखने वाले व्रती लोग शाम को सूर्यास्त के बाद यानि 05:41 बजे के बाद खरना पूजा कर सकेंगे. 

खरना प्रसाद चढ़ाने की विधि
  • संध्या के समय जब सूर्य अस्त होने लगता है, तब व्रती स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है. उसके बाद नए चूल्हे पर गुड़ और चावल की खीर और गेहूं की रोटी बनाई जाती है.
  • इस प्रसाद को बनाते वक्त शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. जिसमें नए मिट्टी या पीतल के बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है.
  • खीर और रोटी का प्रसाद बनने के बाद, उसे केले के पत्तों पर रखा जाता है. प्रसाद के रूप में केला, दूध और अन्य फल भी रखें जाते हैं. फिर दीप जलाकर सूर्य देव और छठी मैया का स्मरण किया जाता है. 
  • सूर्य देव को अर्पित करने के बाद, व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करेंगे, उसके बादल घर के अन्य सदस्य में इस प्रसाद को बांटा जाएगा. 
  • प्रसाद ग्रहण करते ही व्रती का 36 घंटे का कठिन   निर्जला व्रत शुरू हो जाता है, जो उषा अर्घ्य के तक चलता है. 
खरना का महत्व और पूजा विधि

आज रविवार को छठ व्रती खरना मना रही हैं। इस दिन व्रती पूरे दिन बिना अन्न-जल के उपवास रखती हैं और शाम में मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से खीर और रोटी बनाकर पूजा करती हैं। इसके बाद प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के कठोर निर्जला व्रत का संकल्प लिया जाता है। खरना का प्रसाद ही व्रती का अंतिम सात्विक भोजन माना जाता है, जो शरीर और मन दोनों को तपस्या के लिए तैयार करता है।

 इन बातों का रखें ध्यान 
  • व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखें.
  • पूजा स्थल और प्रसाद बनाते समय पवित्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें.
  • शाम को प्रसाद बनाते समय नए वस्त्र पहने और प्रसाद को जूठा ना होने दें. 
  • खरना के बाद व्रती को  ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और व्रत के समाप्ति तक जमीन पर सोना चाहिए.

इसे भी पढ़ें:-इडुक्की में भूस्खलन का कहर, 8 मकान हुए ध्वस्त, एक की मौत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *