प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुकदमों के गवाहों की सुरक्षा के लिए बनाई गई साक्षी सुरक्षा योजना 2018 को लागू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को इस आशय के आदेश दिए है। इस योजना के तहत शिकायतकर्ता व आपराधिक केस के गवाहों को अपनी सुरक्षा की मांग राज्य सरकार या पुलिस अधीक्षक से करने का अधिकार दिया गया है और राज्य पर ऐसी अर्जी पर सुरक्षा उपलब्ध कराने का दायित्व सौंपा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने महेंद्र चावला केस में योजना को विधि का दर्जा देते हुए राज्यों को इसे लागू करने व कानून बनाने का निर्देश दिया है। जिसका पालन न होने पर कोर्ट ने मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक से चार हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई पांच जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने रवींद्र प्रताप शाही उर्फ पप्पू शाही की जमानत अर्जी पर दिया है। कोर्ट ने आत्महत्या के दुष्प्रेरण के आरोपी शाही की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है।
15 मार्च 21 को संतकबीर नगर के महुली थाना क्षेत्र में रेलवे गेट मैन रघुवीर ने जिंदगी से आजिज आकर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट और ऑडियो में याची द्वारा परेशान करने व धमकाने से ऊबकर आत्महत्या करने की बात कही गई है। मामला यह है कि राम वचन के नाम नगर पंचायत हरिहरपुर ने जगदीशपुर गौरा में जमीन का पट्टा दिया। जिसे याची सभासद व पूर्व अध्यक्ष नगर पंचायत रवीन्द्र प्रताप शाही ने अध्यक्ष जितेन्द्र कनौजिया के साथ मिलकर निरस्त करा दिया। इसी घटना को लेकर शिकायतकर्ता के बेटे ने परेशान किए जाने पर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। कोर्ट ने कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद। पुलिस ने समय पर कार्रवाई की होती तो घटना टाली जा सकती थी। ऐसा साक्षी सुरक्षा योजना पर अमल न करने से हुआ। सुप्रीम कोर्ट का आदेश बाध्यकारी है। जिसपर अमल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने मुख्य सचिव को कानून बनाकर योजना को लागू करने और प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।