प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मेडिकल जांच प्रक्रिया पूरी किए बगैर कैदी को अपराध की घटना के दिन नाबालिग करार देना गलत है। कोर्ट ने कहा कि किशोर न्याय बोर्ड ने रेडियोलॉजी जांच के आधार पर कैदी की आयु निर्धारित कर कानूनी गलती की है। ओसीफिकेशन जांच के बाद भी निश्चित आयु निर्धारित नहीं की जा सकती तो अधूरी जांच के आधार पर कैदी को नाबालिग मान लेना सही नहीं है। कोर्ट ने आगरा जेल मे अपराध की सजा काट रहे कैदी के नाबालिग होने की किशोर न्याय बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर अवैध निरूद्धि मानने से इंकार कर दिया। और नाबालिग की रिहाई की माग को लेकर दाखिल बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने किरण पाल उर्फ किन्ना की याचिका पर दिया है।