गोरखपुर। अब आलू के स्टार्च से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का उत्पादन भी संभव है। कमरे के तापमान पर इन दोनों का उत्पादन किफायती होगा। आलू (पोटैटो) स्टार्च आधारित इलेक्ट्रोलाइट के जरिये, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन बनाना अब मुश्किल नहीं है। इसकी खोज दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मणींद्र कुमार ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय की आचार्य प्रो. नीलम श्रीवास्तव और शोधकर्ता डॉ. तूहीना तिवारी के साथ मिलकर की है। उनके पेटेंट के आवेदन को स्वीकृत कर भारत सरकार ने मान्यता दे दी है। डॉ. मणींद्र ने बताया कि पेटेंट हो जाने से उनके शोध पर सरकार की मुहर लग गई है। अब इस तकनीक का इस्तेमाल कर कोई भी व्यक्ति बेहद कम लागत में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन बना सकता है। शोध के दौरान आलू के स्टार्च के उपयोग से इलेक्ट्रोलाइट बनाया गया और फिर उसका उपयोग करके हाइड्रोजन और ऑक्सीजन बनाने में सफलता हासिल हुई। शोध के पेटेंट हो जाने से इसके व्यावसायिक इस्तेमाल की राह खुल गई है। यह शोध नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।