लखनऊ। भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु श्रावण मास का पहला प्रदोष व्रत बृहस्पतिवार को रखेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। बृहस्पतिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की पूजा और व्रत रखने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पंडित शरद चंद्र मिश्रा के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन शिव पुराण और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है। भक्त पर हमेशा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। साथ ही व्रती की दुख और दरिद्रता दूर होती है। उन्होंने बताया कि प्रदोष व्रत भगवान शिव के साथ चंद्रदेव से भी जुड़ा है। मान्यतानुसार प्रदोष का व्रत सबसे पहले चंद्रदेव ने ही किया था। माना जाता है श्राप के कारण चंद्र देव को क्षय रोग हो गया था। तब उन्होंने हर माह की त्रयोदशी तिथि पर शिवजी को समर्पित प्रदोष व्रत रखना आरंभ किया था, जिसके शुभ फल से उन्हें क्षय रोग से मुक्ति मिली।