मंगल करता और विघ्नहर्ता हैं भगवान गणेश: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सनातन धर्म में पांच देवता प्रधान माने गये हैं। उनमें गणपति का प्रथम स्थान है। घर-घर में गणेश पूजा होती है, किसी भी मंगल कार्य में पहले गणेश पूजन अवश्य होता है। मकान बनाते हैं तो दरवाजे पर गणेश जी की प्रतिमा लगाते हैं, अपने यहाँ खाता बही में भी स्वास्तिक के रूप में गणेश जी की स्थापना होती है, स्वास्तिक गणेश जी स्वरूप है। गणेश के चार हाथ, वही चारों दिशाओं में रेखाएं हैं। गणेश के पुत्र हैं शुभ और लाभ, दिवाली के दिन पूजे जाते हैं। विवाह हो, मुंडन हो, दुकान का उद्घाटन हो, यात्रा हो, प्रत्येक कार्य में गणपति का रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ के साथ प्रथम पूजन होता है और गणपति पूजन करके जो कार्य आरंभ करते हैं, गणेश भगवान उनकी हर प्रकार से रक्षा करते हैं। विघ्नों का निवारण करना गणेश जी का प्रथम कार्य है। गणेश जी मंगल करता और विघ्नहर्ता हैं। वे गणों के भी अध्यक्ष हैं और सारे ब्राह्मण के भी अध्यक्ष हैं।

गणेश जी की प्रथम पूजा यह सिद्ध करती है कि गणेश जी बड़े देवता हैं। मान लिया जाय जगद्गुरु रामानंदाचार्य भगवान के साथ दस संत और आयें तो आप प्रथम माला किसे पहनेंगे, प्रथम तिलक किसे करेंगे, जगतगुरु जी को, क्योंकि सभी संतो में वे श्रेष्ठ् हैं। जो श्रेष्ठ होता है, विशेष होता है, उसकी पूजा पहले हुआ करती है। सभी देवताओं ने मिलकर गणेश भगवान को प्रथम पूज्य पद दिया है। जिसके जीवन में बहुत विघ्न बाधाएं आती हैं, हर कार्य में विघ्न बाधा आती है, उन्हें भगवान गणेश जी का स्मरण पूजन और श्री गणेश पुराण की कथा अवश्य सुनना चाहिए। श्री गणेश जी के स्मरण से विघ्न बाधाएं समाप्त हो जाती है और समस्त बाधाएं समाप्त हो जाती है। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री, श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में चातुर्मास के अवसर पर सत्संग प्रवाह में द्वितीय पुराण श्री गणेश पुराण की कथा का प्रारंभ हुआ। श्री गणेश पुराण की महिमा का वर्णन किया गया, कल की कथा में उपासना खंड के अंतर्गत श्री गणेश जी की व्यास जी के द्वारा पूजा, त्रिदेव द्वारा पूजा का गान किया जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *