देश की पहली इंटरेक्टिव आजाद गैलरी की योजना को पीएम मोदी ने सराहा

प्रयागराज। इलाहाबाद संग्रहालय में 1857 से लेकर 1947 की हर क्रांति को प्रदर्शित करने वाली देश की पहली इंटरेक्टिव गैलरी में प्रथम विश्व युद्ध की शीनगन और तोप भी प्रदर्शित की जाएगी। इसके अलावा गदर मूवमेंट से लेकर आजाद हिंद फौज से जुड़े दुर्लभ दस्तावेजों के अलावा भारत माता की आजादी के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले क्रांतिकारियों की अमर निशानियां इस गैलरी की शोभा बढ़ाएंगी। पीएमओ ने इस गैलरी के बारे में संस्कृति मंत्रालय से जानकारी ली है। इसके साथ ही आजादी के अमृत महोत्सव के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस गैलरी को अहम बताते हुए इसके भव्य निर्माण की इच्छा जताई है। इससे तीन साल से ठहरी इस गैलरी के निर्माण की प्रक्रिया तेज हो गई है। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद को समर्पित यह गैलरी सशस्त्र क्रांति से जुड़े उस समय के दस्तावेजों,हथियारों,वस्त्रों के अनूठे संग्रह के रूप में एक डिजिटल अनुभव देगी। यह देश की पहली ऐसी गैलरी होगी, जिसमें स्वतंत्रता आंदोलन की हर क्रांति को लाइट और साउंड के माध्यम दिखाया जाएगा। इसमें हर क्रांतिकारी की कहानियां भी आडियो, वीडियो के जरिए बयां होंगी। इस गैलरी में 1857 की तोप और प्रथम विश्व युद्ध की मशीन गन आकर्षण का केंद्र बनेगी। इसके अलावा अंग्रेजों के दांत खट्टे करने में इस्तेमाल किए गए कई छोटे-बड़े हथियार प्रदर्शित किए जाएंगे। इस गैलरी में चंद्रशेखर आजाद की वह कोल्ट पिस्टल भी रखी जाएगी, जिससे उन्होंने अल्फ्रेड पार्क में ब्रिटिश फौज का पसीना छुड़ाया था। लेकिन, बाद में गोली लगने और घिरने के बाद इसी पिस्टल से अपनी कनपटी में गोली मारकर शहीद हो गए थे। यह पिस्टल आज भी संग्रहालय के सेंट्रल हाल में रखी हुई है। इसके अलावा कारोरी कांड के दस्तावेज और उसमें शामिल क्रांतिकारियों की जेल से लिखी चिट्ठियां भी शामिल हैं। काकोरी कांड में शामिल रहे विष्णु शरण दुबलिश का वह ऐतिहासिक पत्र भी लोग इस गैलरी में देख सकेंगे, जिसे दुबलिश ने एक नवंबर 1937 को अंडमान जेल से छूटने के बाद लिखा था। इसके अलावा महाराष्ट्र के केसरी मराठा ट्रस्ट और वीर सावरकर ट्रस्ट के पदाधिकारियों से भी संग्रहालय के अफसरों ने संपर्क किया है, ताकि सशस्त्र क्रांति के वाहकों में से एक राजगुरु और वीर सावरकर से संबंधित दस्तावेजों को आजाद गैलरी में रखने के लिए लाया जा सके। संग्रहालय के निदेशक डॉ सुनील गुप्त बताते हैं कि पुणे से शहीद राजगुरु के कुछ पत्रों को लाने के लिए संपर्क किया गया है। इस गैलरी में आजादी की झलक प्रस्तुत करने वाली तस्वीरें और वस्तुएं प्रदर्शित की जाएंगी। इसमें जलियावाला बाग सामूकिक नरसंहार, गदर मूवमेंट, आजाद पार्क की घटना समेत अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं की गाथा को भी प्रदर्शित किया जाएगा। संग्रहालय के लिए सौभाग्य की बात है कि प्रधानमंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत इस गैलरी के निर्माण को बेहद अहम माना है। संस्कृति मंत्रालय की ओर से आजाद गैलरी के बारे में पीएमओ को अवगत कराया गया है। इसके लिए संग्रहालय की ओर से मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी गई थी। अब इस इंटरेक्टिव गैलरी की डिजाइन के लिए काम तेज कर दिया गया है।

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