राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री मार्कण्डेय महापुराण का माहात्म्य सर्वं देवी मयं जगत, अतोऽहं विश्वरूपां त्वां नमामि परमेश्वरीं। श्री मार्कंडेय महापुराण के माहात्म्य में श्री देवर्षि नारद जी कहते हैं कि जो दुःख किसी उपाय से नहीं मिट सकता है, वह दुख भगवती परांबा महामाया की कृपा से मिट सकता है। यदि कोई श्री मार्कंडेय महापुराण का श्रवण करें और मां भगवती की आराधना करें तो कुछ भी असंभव नहीं है। यह सारा संसार शक्ति के द्वारा संचालित है। शक्ति के बिना शक्तिमान का महत्व नहीं रह जाता है। आज भी जितने कल कारखाने हैं, विद्युत शक्ति से चलते हैं। शक्ति प्राप्त करने के लिए शक्ति की आराधना करना चाहिये, जैसे बैटरी डिस्चार्ज होने पर चार्जर में लगाने से चार्ज हो जाती है। उसी प्रकार पराम्बा में मन लगाने से हमारे जीवन में शक्ति का विशेष रूप से संचार हो जाता है। दुनियां में किसी कार्य के लिये शक्ति की आवश्यकता है। बुद्धि की आवश्यकता है, बुद्धि भी भगवती की ही शक्ति है। या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्ये नमो नमः।। भगवती महाराज हिमाचल से कहती हैं, जब कोई व्यक्ति वृद्ध हो जाता है तो यह नहीं कहता- हमारे अंदर ब्रह्मा नहीं रहे, विष्णु नहीं रहे, शंकर नहीं रहे, बल्कि ये कहता है, हमारे अंदर शक्ति नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि शक्ति रहने पर ही आप कुछ कर सकते हैं। शक्ति के न रहने पर, ब्रह्मा, विष्णु के रहने पर भी आप कुछ कार्य नहीं कर सकते हैं। इसलिए शक्ति की प्रधानता है वैसे शक्ति और ब्रह्म दोनों तत्व मूलतः एक है, जैसे चने के अंदर दो दाल होती है उसमें कौन छोटी और कौन बड़ी, दोनों एक ही चने के हिस्से हैं। शास्त्र बार-बार कहते हैं शक्ति की आराधना करो। भगवती की महिमा सुनने मात्र से आपके हृदय में शक्ति का संचार होगा। आपके दुःख,दरिद्र, रोग और शोक भी मिटेंगे। श्री मार्कंडेय महापुराण में लिखा है जो व्यक्ति रोगी है, पुत्र मूर्ख है, जिसके घर में संपत्ति न हो, जिसके पास बुद्धि न हो, पति-पत्नी लड़ते हों, जहां पुत्र आज्ञाकारी न हो,तो समझ लेना इन्होंने पिछले जन्मों में देवी की आराधना नहीं की है। जिसके घर में पूर्ण सुख संपत्ति हो तो समझ लेना चाहिए। इन्होंने देवी मां की आराधना की है। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान
(वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में दिव्य चातुर्मास के अवसर पर श्री मार्कंडेय महापुराण के प्रथम दिवस माहात्म्य की कथा का गान किया गया। कल की कथा में आगे भगवती के मंगलमय चरित्रों का गान होगा।