वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन पुस्तकालय अब पूरी तरह से डिजिटल होगी। इसके साथ ही लाइब्रेरी की पांडुलिपियों और दुर्लभ ग्रंथों का संरक्षण शासन के सहयोग से होगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शासन को दुर्लभ ग्रंथ व पांडुलिपियों के संरक्षण और प्रकाशन के लिए एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। विश्वविद्यालय की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को उच्च शिक्षा विभाग को भेज दिया गया है। सैद्धांतिक सहमति भी मिल चुकी और संभावना है कि दिसंबर के अंत तक अनुदान भी मिल जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने लाइब्रेरी को डिजिटल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कुलसचिव डॉ. ओम प्रकाश ने सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रो. शैलेश कुमार मिश्र की अध्यक्षता 11 सदस्यीय समिति भी गठित कर दी है। संस्कृत विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन पुस्तकालय में एक लाख 11 हजार 132 पांडुलिपियां लाल पोटली में और करीब तीन लाख से अधिक ग्रंथ सहेज कर रखे हैं। इसमें वेद, कर्मकांड, वेदांत, सांख्ययोग, धर्मशास्त्र, पुराणेतिहास, ज्योतिष, मीमांसा, न्याय वैशेषिक, साहित्य, व्याकरण व आयुर्वेद संबंधित दुर्लभ ग्रंथ हैं। इसमें सौ साल से भी अधिक प्राचीन 1500 दुर्लभ पुस्तकें हैं।