नई दिल्ली। देश की सीमाओं से युवाओं को रूबरू करवाने और बार्डर एरिया के ग्रामीण इलाकों से पलायन रोकनेे के लिए केंद्र सरकार ‘बार्डर टूरिज्म’ शुरू करने जा रही है। इसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल से लेकर पूर्वोत्तर में अमल में लाया जाएगा। देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमावर्ती इलाकों में सुविधाओं की कमी के चलते ग्रामीण इलाकों से पलायन हो रहा है। ऐसा होना देश की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार यह पहल करने जा रही है। अधिकारियों के अनुसार ग्रामीण इलाकों में सुविधाओं में कमी, बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था और रोजगार न होने के चलते गांवों से शहरों की ओर पलायन हो रहा है। सबसे अधिक दिक्कत देश की सीमाओं वाले राज्यों में है। पलायन के चलते गांव खाली हो चुके हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर खतरा बढ़ रहा है। इसीलिए सरकार ‘बॉर्डर टूरिज्म’ ला रही है। इसमें सबसे पहले ग्रामीण इलाकों में सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। जब घर के पास अच्छी शिक्षा, रोजगार के बेहतर मौके मिलने लगेंगे तो पलायन पर रोक लगेगी। दूसरा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पर्यटकों के चलते चहल पहल बढ़ेगी और इससे सीमाओं की सुरक्षा पर नजर भी रखी जा सकेगी। इसी सोच के तहत ‘बॉर्डर टूरिज्म’ को लेकर सरकार विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर एक्शन प्लान तैयार कर रही है। इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्रियों को सौंपी गई है ताकि सभी विभाग एक साथ मिलकर काम को आगे बढ़ा सकें। वाघा बार्डर दर्शकों से हमेशा गुलजार रहता है। हालांकि दर्शकों को वाघा बार्डर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम से जुड़े इतिहास की जानकारी नहीं होगी। इसीलिए दर्शकों खासकर युवाओं को वाघा बार्डर के इतिहास से रूबरू करवाने के लिए लाइट एंड साउंड शो शुरू किया जाएगा। इसके बाद अन्य बार्डरों पर भी लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से दर्शकों को उन ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी मिलेगी।