नई दिल्ली। महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, एयरपोर्ट और खुद के कैंपों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा बलों को कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोनों को मार गिराने के लिए पंप एक्शन गन का इस्तेमाल करने को कहा गया है। इन गनों से रबर बुलेट दागी जाती हैं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि ऐसे हवाई हमलों के खतरों से निपटने के लिए जब तक कोई को उचित तकनीक नहीं मिल जाती है तब तक इन्हीं का इस्तेमाल करना होगा। अधिकारियों का कहना है कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जैसे सुरक्षा बलों ने हाल में पाकिस्तान से लगती सीमा पर कुछ जगह पर इम्प्रोवाइज्ड आयरन पोल माउंटेड लाइट मशीन गन (एलएमजी) ऑब्जर्वेशन पोस्ट स्थापित किए हैं, ताकि काफी ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले मानवरहित विमानों (यूएवी) या ड्रोन को मार गिराया जा सके और उन पर 360 डिग्री की नजर रखी जा सके। निर्देशों के तहत आंतरिक सुरक्षा के लिए तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों ने नक्सल विरोधी अभियानों सहित अपनी अन्य संवेदनशील यूनिटों को ड्रोन के खतरे से निपटने के लिए पीएजी देना शुरू कर दिया है। केंद्रीय गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ड्रोन हमलों को नाकाम करने और इन्हें रोकने के लिए जब तक कोई उचित तकनीक मिल नहीं जाती है तब तक सुरक्षा बलों को पीएजी जैसे उपलब्ध हथियारों का इस्तेमाल करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि जिनके पास ये गैर घातक हथियार नहीं हैं, उन्हें इनकी खरीद करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात सुरक्षा बलों की यूनिटों और एयरपोर्ट की सुरक्षा कर रहे बलों को भी अपने जवानों को यह हथियार देने का निर्देश दिया गया है। साथ ही सुरक्षा बलों के कैंपों की सुरक्षा व निगरानी के लिए तैनात जवानों को भी पीएजी देने को कहा गया है।