नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) अगले तीन साल में मेडिकल डिग्री प्रोग्राम की भी पढ़ाई कराएगा। देश के बड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञों की पांच सदस्यीय एपेक्स कमेटी की जेएनयू मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल बनाने संबंधी रिपोर्ट को हाल ही में विश्वविद्यालय की एकेडमिक और एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही, पहले चरण के तहत 500 बेड वाले अस्पताल के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। विश्वविद्यालय कैंपस में ही एआईसीटीई की तरफ 25 एकड़ में शुरुआत जेएनयू मेडिकल कॉलेज से होगी। इसे बनाने के लिए तीन साल में 900 करोड़ रुपये खर्च होंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन पहले कैंपस के 10 किलोमीटर एरिया वाले किसी हॉस्पिटल के साथ जेएनयू मेडिकल कॉलेज को जोड़ेगा। बाद में 500 बेड का जेएनयू सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनेगा। इसके बाद 300 एकड़ में मेडिकल कॉलेज व सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का विस्तार होगा। रिपोर्ट के अनुसार जेएनयू एमबीबीएस, एमडी, एमएस, डीएम, एमसीएच, एमडी-पीएचडी आदि की मेडिकल डिग्री देगा। एमबीबीएस की बैचलर डिग्री तीन प्रोफेशनल भागों में विभाजित होगी। हर प्रोफेशनल पूरा होने पर विश्वविद्यालय परीक्षा आयोजित करवाएगा। इसके रिजल्ट के बाद ही अगले प्रोफेशनल में पढ़ाई कर सकेंगे। ग्रेजुएट प्रोग्राम 9 सेमेस्टर का होगा। इसके बाद एक साल की इंटर्नशिप करनी होगी। इस कोर्स के तहत मिलने वाली डिग्री बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी ही कहलाएगी। डिग्री लेने के बाद नए डॉक्टरों को ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देना जरूरी होगा। स्नातक मेडिकल डिग्री के आधार पर स्नातकोत्तर मेडिकल प्रोग्राम में दाखिला लिया जा सकता है। जेएनयू मेडिकल कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत छात्र-शिक्षक अनुपात रखा जाएगा। इसमें दस छात्रों पर एक शिक्षक होगा। सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में पढ़ाई के साथ शोध पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। अस्पताल में जनरल मेडिसिन, सर्जरी, गाइनी, पीडियाट्रिक्स, पैथोलॉजी, माइक्रोबायॉलोजी, बायोकैमिस्ट्री, रेडियोलॉजी, एनिस्थीसिया आदि डिर्पाटमेंट होंगे। वहीं, सुपर स्पेशियलिटी के तहत संक्रामक रोग, मेडिकल ऑनकोलॉजी, सर्जिकल ऑनकोलॉजी, ऑर्गन ट्रांसप्लांट, गैस्ट्रो एंट्रोलॉजी, कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी आदि विभाग बनाए जाएंगे। इसके अलावा, जेएनयू प्रशासन की भविष्य में नॉन कन्वेंशनल डिपार्टमेंट, जिनमें इंटरनेशनल मेडिसिन, कांप्लीमेंट्री एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन, ट्रांसलेशनल रिसर्च, नैनोमेडिसिन भी शुरू करने की योजना है। इन शोध आधारित सेंटर या विभागों में 50 फीसदी विश्वविद्यालय फैकल्टी के लिए ही आरक्षित होगी। यूजीसी के नियमों के तहत शुरुआत में हर विभाग में 7 फैकल्टी सदस्य रखे जाएंगे। इनमें एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर और चार असिस्टेंट प्रोफेसर होंगे। कुल 37 सेंटर होंगे। यानी 259 फैकल्टी सदस्यों की नियुक्ति होगी। जेएनयू, एम्स दिल्ली और आईसीएमआर मिलकर दुर्लभतम बीमारियों पर भी शोध करेंगे। जेएनयू कैंपस में स्पेशल सेंटर फॉर रेयर डिसीज बनेगा। इसके लिए आईसीएमआर जेएनयू को फंडिंग करेगा। यह देश का पहला ऐसा संस्थान होगा, जहां पढ़ाई और शोध साथ चलेंगे। जेएनयू के कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार का कहना है कि एपेक्स कमेटी की रिपोर्ट और प्रोग्राम डिजाइन को जेएनयू की एकेडमिक व एग्जीक्यूटिव कमेटी ने मंजूरी दे दी है। जेएनयू मेडिकल कॉलेज व सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का पहला चरण पूरा हो गया है। दूसरे चरण में विभिन्न विभागों से मंजूरी का काम शुरू हो रहा है। पर्यावरण का पूरा ध्यान रखा जाएगा। कोई पेड़ नही कटेगा। तीसरे चरण में निर्माण कार्य होगा। छात्रों और शिक्षकों के साथ इस प्रोजेक्ट को पूरा करेंगे, ताकि मेडिकल डिग्री की पढ़ाई भी शुरू हो सके।