अबुझमाड़ क्षेत्र के सैकड़ो गांवों को प्रारंभिक कार्य के आधार मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ

छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य के नारायणपुर जिले के नक्सल प्रभावित अबुझमाड़ क्षेत्र के लगभग 246 गांवों में से 19 गांवों में भूमि जोतों के रिकॉर्ड को संकलित करने के लिए प्रारंभिक राजस्व सर्वेक्षण पूरा हो गया है। अब प्रारंभिक कार्य के आधार पर इन गावों के निवासियों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। भूपेश बघेल ने कहा है कि स्थानीय टैलेंट, स्थानीय युवा और स्थानीय संसाधनों के उपयोग से हम विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल को और ज्यादा विस्तार देंगे। इससे छत्तीसगढ़ का हर क्षेत्र समृद्ध और खुशहाल होगा। मुख्यमंत्री बघेल अपने (पूर्व में रिकार्ड किये गये) प्रसारित मासिक रेडियोवार्ता ‘लोकवाणी’ की 22वीं कड़ी में जनता से ‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह’ विषय पर बातचीत कर रहे थे। इस विषय पर यह लोकवाणी की दूसरी कड़ी थी। मुख्यमंत्री की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी का प्रसारण रविवार को आकाशवाणी के सभी केंद्रों, एफएम रेडियो और क्षेत्रीय समाचार चैनलों में किया गया। सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ को ठीक ढंग से समझने की दिशा में हमने ठोस कार्रवाई शुरू कर दी है। कुछ समय के बाद ही इसका लाभ जमीनी स्तर पर दिखाई देने लगेगा। लोकवाणी में अबूझमाड़ के नारायणपुर जिले के सत्यनारायण ने बताया कि अबूझमाड़ क्षेत्र में राजस्व भूमि के सर्वे के बाद गांवों के लोगों की जमीन का पट्टा बन गया है। अब वे लोग धान बेच रहे हैं। भूमि का समतलीकरण किया गया है और उन्हें राज्य शासन की अन्य योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। उन्होंने इसके लिए ग्रामीणों की ओर से मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री बघेल ने इस संबंध में कहा कि अबूझमाड़ का मतलब ऐसा वन क्षेत्र जिसे बूझा नहीं जा सकता। जब हमारी सरकार आई मुझे लगा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि प्रदेश का कोई क्षेत्र अबूझा रह जाए, जहां की आशाओं को समझने जनसुविधाओं और विकास की योजनाओं को पहुंचाने की कोई व्यवस्था ही न हो। उन्होंने कहा कि जब जांच कराई गई तो पता चला कि नारायणपुर जिले के ओरछा विकासखंड के 237 गांव और नारायणपुर विकासखंड के 9 गांव असर्वेक्षित हैं। जिसके कारण किसानों को शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। आईआईटी रूड़की के सहयोग से 19 ग्रामों का प्रारंभिक नक्शा एवं अभिलेख तैयार कराया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य शासन ने यह निर्णय लिया है कि सर्वेक्षण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक प्रारंभिक अभिलेख अथवा मसाहती खसरा को आधार बनाकर कब्जेदार को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाए। ओरछा विकासखंड से 1,092 तथा नारायणपुर विकासखंड से 1,842 ग्रामीणों ने विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन दिए हैं। इन आवेदनों पर कार्यवाही करते हुए पात्र हितग्राहियों को लाभ दिया जा रहा है। घने जंगलों वाला अबूझमाड़ रायपुर से करीब 350 किमी की दूरी पर स्थित है और बस्तर डिविजन का हिस्सा है।

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