पावर प्लांट्स में कोयला पहुंचाने का भारतीय रेलवे ने उठाया जिम्मा

नई दिल्ली। देशभर के बिजली संयंत्र इन दिनों कोयला संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में पावर प्लांट्स में कोयला पहुंचाने का जिम्मा भारतीय रेलवे ने उठाया है। रेलवे ने कोयला लदी मालगाड़ियों को विशेष ट्रीटमेंट देना शुरू कर दिया है। रेलवे बोर्ड के निर्देश पर कोयला लेकर जा रहीं ट्रेनों को बिना रोके गुजारा जा रहा है। जल्द से जल्द विद्युत संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने के लिए इन ट्रेनों की विशेष निगरानी भी शुरू हो गई है। इसके अलावा रेलवे में सभी अधिकारियों को सक्रिय रहने और हर घंटे की जानकारी तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही हर दिन लोड होने वाले कोयला की संख्या भी बढ़ा दी गई है। अमर उजाला को मिली जानकारी के अनुसार ऊर्जा और कोयला मंत्रालयों से चर्चा के दौरान रेलवे ने यह भरोसा जताया था कि उनके लिए कोयला परिवहन की क्षमता की कोई परेशानी नहीं है। वे पावर हाउस की जरूरतों के अनुसार परिवहन करने के लिए तैयार थे। कोयला की कमी को रेलवे आंतरिक रूप से आपातकाल मान रहा है। इसलिए पावर प्लांट्स को कोयला पहुंचाने के लिए 24 घंटे कोयला लदी मालगाड़िया चलाई जा रही हैं। राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने कोयले की इस कमी को आपातकाल घोषित कर दिया है। सभी जोनल रेलवे के प्रमुख मुख्य संचालक प्रबंधकों को एक कंट्रोल रुम तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही जनरल मैनेजर्स और मंत्रालय के अफसरों के लिए हर घंटे के बुलेटिन बनाने के लिए कहा गया है। मंत्रालय के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक रेलवे की तरफ से कोयला सप्लाई को लेकर वैगन और रेक की कोई कमी नहीं है। हम इस संकट के दौर में कोयले की सप्लाई को प्राथमिकता दे रहे हैं। रेलवे के पास करीब 850 रेक हैं। कोयला और उर्जा मंत्रालय से जितने भी रेक की मांग की जा रही है। हम उन्हें दे रहे हैं। रेलवे रोजाना 435 रेक से करीब 4000 टन कोयले की ढुलाई कर रही है। दो साल पहले की मालगाड़ी की औसत स्पीड 24 किलोमीटर प्रति घंटा से बढ़कर अब स्पीड 46 किलोमीटर प्रति घंटा तक जा पहुंची है। इसी बीच भारतीय रेलवे ने हर रोज लोड होने वाले कोयला के रैक की संख्या सोमवार को 430 से बढ़ाकर 440-450 तक कर दिया है। सोमवार को 1.77 मिलियन टन कोयला का परिवहन किया है। अगर मांग प्रतिदिन 500 रैक तक बढ़ती है, तो भी रेलवे इसे आराम से संभालने के लिए तैयार है। देश के पूर्वी हिस्से में कोयला क्षेत्रों से बड़ी संख्या में कोयले आ रहे हैं और ऐसे क्षेत्रों में पूर्व मध्य रेलवे द्वारा सेवा दी जाती है।

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